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Shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, धारण किए चंद्र चमक रहा मस्तक, जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र। पर्वतपुत्री शोभित न्यारी कनक बसन कंचुकी सजाए, स्वर्ण आभूषण शोभा भाए, हृदय में शिव को बसाए, एक ही हठ वर बने शिवशंकर जाती कैलाश शिखर निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए शैल सुता पूजती शिवलिंग, अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग, वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम जागृत, किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित। ©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके घटते परिधानों को , देख सदा हूँ चुप होता । मन ही मन चिंतन करता अब , वस्त्र हरण दोष न होता ।। अजब-अजब सी कृतियाँ करके , पहनें जैसे आभूषण । परिधानों को समझ रहे हैं ...... लाज शर्म की बातें करना , व्यर्थ हुआ है इस युग में । मैं हूँ सुंदर मैं हूँ सुंदर , होड़ लगी अब तो जग में ।। सच कहने वाले अब सारे , है उनके लिए विभीषण । परिधानों को समझ रहें हैं.... आज समाज दिशा है बदली , या बदले हैं अब हम ही । शायद खोटी शिक्षा अपनी , जो आज बुरे है हम ही ।। मान लिया हमने गलती यह , देकर इनको अब भाषण । परिधानों को समझ रहें हैं ... परिधानों को समझ रहें हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। २१/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके
YumRaaj ( MB जटाधारी )
यमराजः अथवा धर्मराजः संसारस्य सर्वेषां जीवानां प्राणिनां अन्तिमसंयंत्रणकर्ता च अस्ति। अयम् यमराजः वेदपुरुषस्य पुत्रः च आहूतः अस्ति। अत्र अस्मिन् लेखे यमराजस्य परिचयः निरूप्यते। नाम: यमराजस्य नाम धर्मराजः अथवा यमः इति प्रसिद्धमस्ति। "यम" शब्दः संस्कृतभाषायाम् "नियमने" अर्थे प्रयुज्यते, यथा यमः जीवानां कर्मणि नियमयति इति नामकरणं योग्यं भवति। तस्य अपि अन्ये नामानि च सन्ति, यथा अंतकः, कालः, वैवस्वतः, धर्मराजः, मृत्युः इत्यादयः। पितरोऽधिपतिः: यमराजः पितृलोकस्य पितरोऽधिपतिः अस्ति। पितृलोकं अस्य अधिष्ठानं भवति। पितृलोके प्रविष्टे सर्वेऽपि जीवाः यमराजस्य सन्निधौ आविष्कृतं भवन्ति। यमराजः तेषां कर्मणि नियमयति च तथा अन्यायानि प्रशास्तुम् अर्हति। यमलोकः: यमराजस्य निवासस्थलं यमलोकः नाम अस्ति। तत्र तेषां जीवानां कर्मफलं निरीक्ष्य यमराजः तथा विचार्य तेषां योनिसंस्थानं नियमयति। यमलोके यात्रां कृत्वा जीवाः तेन योनिसंस्थानेन सम्बद्धाः भवन्ति। यमदूताः: यमराजस्य सेनापतयः यमदूताः नाम्ना विख्याताः भवन्ति। ये यमराजस्य अधीना अस्ति ते यमदूताः यमराजस्य आदेशानुसारिणसर्वेभ्यः जीवेभ्यः सन्देशान् प्रेषयन्ति च यमराजस्य अधीना आवर्तन्ते। यमदूताः यात्रां कृत्वा जीवानां कर्मफलं तथा पापपुण्यानि निरूपयन्ति च। यमदूताः यमराजस्य अद्यतनं चरित्रं धारयन्ति च भवन्ति। यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपम्: यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपं अस्ति। पाञ्चालिकं रूपं यमराजस्य विभूषणानि अस्ति, यथा धर्मचक्रं, दण्डं, पाशं, यमगुप्तं च। धर्मचक्रं यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा धर्मस्य प्रतिष्ठानं। दण्डः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य न्यायविधानं। पाशः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य बन्धनानि। यमगुप्तः यमराजस्य सहायकः अस्ति, यथा यमराजस्य सङ्केतकः। यमराजस्य धर्मः: यमराजस्य धर्मः अत्यंत महत्त्वपूर्णः अस्ति। यमराजः सन्तानं धर्मं नियमयति च, यथा न्यायस्य पालनं, पापपुण्यानां फलानां वितरणं च। यमराजस्य धर्मस्य वेदपुरुषैः प्रमाणं उपपाद्यते च। यमराजस्य अर्थः: यमराजस्य अर्थः सम्पूर्ण जगत्सृष्ट्यादिकर्तृभ्यः विभूषितः अस्ति। यमराजः समस्तं कर्मफलं नियन्त्रयति च तथा अधिकृतं अनुशास्ति। यमराजस्य अर्थः धर्मरूपेण भगवत्प्राप्तौ निर्वहति च। इत्येवं यमर ©YumRaaj YumPuri Wala #navratri #यमनियम यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ! #Yumraaj यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कृष्ण सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। अगर उनको समझ लिया और जान लिया तो कुछ और जानने, समझने की आवश्यकता ही नहीं, उनको पा लिया तो कुछ और पाना शेष नहीं। श्री कृष्ण भक्ति ही हमारा परम चरम लक्ष्य है। हम कौन हैं? श्री कृष्ण कौन हैं? श्री कृष्ण हमें कैसे मिलेंगे? जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अपने प्रवचनों में इन गूढ़ और भक्ति का वो आभूषण रत्न दिया है, जो हमारे मन में अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर, ज्ञान का दीप प्रज्ज्वलित करेगा। Rao N S Yadav.. ©N S Yadav GoldMine #sadak {Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कृष्ण सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। अगर उनको समझ लिया और जान लिया तो कुछ और जानने, समझने की आवश्यकता ही नहीं,
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कृष्ण सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। अगर उनको समझ लिया और जान लिया तो कुछ और जानने, समझने की आवश्यकता ही नहीं, उनको पा लिया तो कुछ और पाना शेष नहीं। श्री कृष्ण भक्ति ही हमारा परम चरम लक्ष्य है। हम कौन हैं? श्री कृष्ण कौन हैं? श्री कृष्ण हमें कैसे मिलेंगे? जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अपने प्रवचनों में इन गूढ़ और भक्ति का वो आभूषण रत्न दिया है, जो हमारे मन में अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर, ज्ञान का दीप प्रज्ज्वलित करेगा। Rao N S Yadav.. ©N S Yadav GoldMine #sadak {Bolo Ji Radhey Radhey} श्री कृष्ण सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। अगर उनको समझ लिया और जान लिया तो कुछ और जानने, समझने की आवश्यकता ही नहीं,
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
Ruchi Baria
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥ जय सोमनाथ, जय सोमनाथ॥ ©Ruchi Baria सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥ जय सोमनाथ, जय सोमनाथ॥ अर्थ –