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F M POETRY
New Year Resolutions जैसे हर साल गुज़र जाता है.. दर्द-ओ-ग़म क्यों गुज़र नहीं जाते.. यूसुफ़ आर खान. ©F M POETRY #newyearresolutions दर्द-ओ-ग़म....
#newyearresolutions दर्द-ओ-ग़म....
read moreAnuj Ray
White दर्द ओ ग़म" उनसे बिछड़ने का दर्द ओ ग़म ज़िगर से आज तक कभी गया ही नहीं। कुछ लोग दर्द ओ ग़म की दवा ढूंढने लगते हैं, हमें इस क़ाबिल कोई जचा ही नहीं ©Anuj Ray # दर्द ओ ग़म "
# दर्द ओ ग़म "
read moreMayuri Bhosale
White ओ पहली मुलाकात..... दिल मे दबी हुई वो हसी लगती है हमे आँखो मे अभी भी वैसी ही फसी सब कुछ लुटा दिया है हमने तुम पर मगर दिल धडकते ही आ जाते है होशपर आप को देखा तो ऐसा लगा की उडणे लगे है हवा में वैसे तो चाॅंद तारे शामिल है हमारे मिलन के गॅंवा में कुछ तो खास थी आप में वो बात याद आती है हमें ओ पहली मुलाकात ओ पहली मुलाकात. ©Mayuri Bhosale #ओ पहली मुलाकात
#ओ पहली मुलाकात
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read moreneelu
White आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं ©neelu #sad_quotes #आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं
#sad_quotes #आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं
read moreShiv Narayan Saxena
White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night घर-घर में होने लगे.....
#good_night घर-घर में होने लगे.....
read moreParasram Arora
White कहने को तों ये आज़ादी हैँ लेकिन मुंह से निकले हर अख़फ़ाज़ पर पहरा हैँ किसको अपने मन की बात कहें यहां सुनता कौन हैँ? यहां तों कुर्सी पर बैठा हर हाकीम बहरा हैँ ©Parasram Arora कहने को.....
कहने को.....
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