Find the Latest Status about लोकसेवा आयोग परीक्षा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लोकसेवा आयोग परीक्षा.
Indian Kanoon In Hindi
संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून :- * अनुच्छेद 315 के द्वारा संघ में संघीय सेवा आयोग की स्थापना की गई है। इसमें एक अध्यक्ष और सात अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनका कार्यकाल, पदभार ग्रहण करने की तिथि से छह साल तक अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक होता है। इसमें कम-से-कम आधे सदस्य (वर्किंग और रिटायर्ड) ऐसे अवश्य हो जो कम-से-कम 10 वर्षों तक सरकारी सेवा का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं। * आयोग का कोई भी सदस्य उसी पर दुबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता। संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का अध्यक्ष संघ या राज्यों में अन्य किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। आयोग के सदस्यों का वेतन राष्ट्रपति द्वारा विनियमित होता है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के उपरान्त उनकी सेवा की शर्तों को उनके हित के विरुद्ध बदला नहीं जा सकता। इस समय अध्यक्ष का वेतन (7वा पे कमीशन के बाद) 2।5 लाख और सदस्यों का वेतन 2।25 लाख है, जो भारत सरकार की संचित निधि (कंसोलिडेटेड फण्ड) से दिया जाता है। * आयोग के सदस्यों की उनके दुराचार के लिए राष्ट्रपति आवेश द्वारा हटाया भी जा सकता है। यदि राष्ट्रपति को किसी भी सदस्य के खिलाफ दुराचार की रिपोर्ट मिले तो वह विषय न्यायालय के पास विचारार्थ प्रस्तुत होगा। न्यायालय की सम्मति मिलने पर उस सदस्य को पदच्युत किया जायेगा। * निम्नलिखित कारणों के उपस्थित होने पर राष्ट्रपति आयोग के किसी भी सदस्य को हटा सकता है। * यदि वह व्यक्ति दिवालिया सिद्ध हो। यदि अपने कार्यकाल में वह कोई दूसरा पद स्वीकार कर ले। शारीरिक अस्वस्थता के कारण कार्य करने के लिए अक्षम हो गया हो। यदि भारत या राज्य-सरकार के साथ करार किये गये किसी कॉन्ट्रैक्ट के साथ उसका सम्बन्ध हो या उससे कोई लाभ प्राप्त हो रहा हो। ©Indian Kanoon In Hindi संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून
संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून
read moreIndian Kanoon In Hindi
संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून :- * अनुच्छेद 315 के द्वारा संघ में संघीय सेवा आयोग की स्थापना की गई है। इसमें एक अध्यक्ष और सात अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनका कार्यकाल, पदभार ग्रहण करने की तिथि से छह साल तक अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक होता है। इसमें कम-से-कम आधे सदस्य (वर्किंग और रिटायर्ड) ऐसे अवश्य हो जो कम-से-कम 10 वर्षों तक सरकारी सेवा का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं। * आयोग का कोई भी सदस्य उसी पर दुबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता। संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का अध्यक्ष संघ या राज्यों में अन्य किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। आयोग के सदस्यों का वेतन राष्ट्रपति द्वारा विनियमित होता है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के उपरान्त उनकी सेवा की शर्तों को उनके हित के विरुद्ध बदला नहीं जा सकता। इस समय अध्यक्ष का वेतन (7वा पे कमीशन के बाद) 2।5 लाख और सदस्यों का वेतन 2।25 लाख है, जो भारत सरकार की संचित निधि (कंसोलिडेटेड फण्ड) से दिया जाता है। * आयोग के सदस्यों की उनके दुराचार के लिए राष्ट्रपति आवेश द्वारा हटाया भी जा सकता है। यदि राष्ट्रपति को किसी भी सदस्य के खिलाफ दुराचार की रिपोर्ट मिले तो वह विषय न्यायालय के पास विचारार्थ प्रस्तुत होगा। न्यायालय की सम्मति मिलने पर उस सदस्य को पदच्युत किया जायेगा। * निम्नलिखित कारणों के उपस्थित होने पर राष्ट्रपति आयोग के किसी भी सदस्य को हटा सकता है। * यदि वह व्यक्ति दिवालिया सिद्ध हो। यदि अपने कार्यकाल में वह कोई दूसरा पद स्वीकार कर ले। शारीरिक अस्वस्थता के कारण कार्य करने के लिए अक्षम हो गया हो। यदि भारत या राज्य-सरकार के साथ करार किये गये किसी कॉन्ट्रैक्ट के साथ उसका सम्बन्ध हो या उससे कोई लाभ प्राप्त हो रहा हो। ©Indian Kanoon In Hindi संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून
संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा.....? मैने हर बलिवेदी पर बिन्त_हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Book "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा,मैने हर बलिवेदी पर बीन्त हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #Shamawritesbebaak
#Book "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा,मैने हर बलिवेदी पर बीन्त हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #shamawritesBebaak
read moreAshtvinayak
N S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} ये कलयुग हैं:- जनाब यहां दूसरे की तकलीफ को कर्मो का फल कहते हैं, अपनी तकलीफ़ को भगवान की परीक्षा बताते हुए पाये जाते, ये आजकल की विडंबना है, जो लोगों ने अपनी आदत व विचारों में शामिल कर लिया है।। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Book {Bolo Ji Radhey Radhey} ये कलयुग हैं:- जनाब यहां दूसरे की तकलीफ को कर्मो का फल कहते हैं, अपनी तकलीफ़ को भगवान की परीक्षा बताते हुए पाय
#Book {Bolo Ji Radhey Radhey} ये कलयुग हैं:- जनाब यहां दूसरे की तकलीफ को कर्मो का फल कहते हैं, अपनी तकलीफ़ को भगवान की परीक्षा बताते हुए पाय
read more