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R.S. Meena
राहें राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। उपदेशों में कामयाबी के भरमार तरीके दिखलाये, पग-पग पर अंगारे है, कोई न हमकों बतलाये। जब बहा पसीना़ अपने तन से,मन बहक ना पाया है। राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। कर्म से ही सबकों मिलता है, अपने पथ का सार, संयम से चलकर ही पुरे होते है,सपने अपरंपार। तेज दौड़कर भी शशक जीत ना पाया है। राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। टेड़ी-मेड़ी राहों पर भी सीधा चलना पड़ता है, लक्ष्य साधना में गिर कर भी उठना पड़ता है। राहों में पुष्प भी मिलेंगे, सबका मन ललचाया है। राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। राहें राह नहीं आसान, बस इतना समझ में आया है। अपने कदमों को उठाकर ही, मंजिल को पाया है।। उपदेशों में कामयाबी क
Pramod Kumar
Kumar.vikash18
( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर ! मन चंदन मन निर्मल , मन अमृत का प्याला ! मन मुरली मन तान , मन राधा का श्याम ! चंचल ( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर !
(तरूण तरंग)तरूण.कोली.विष्ट
मन बना लिया जिसने वो बन गया समझो फिर ©®तरूण मन #मन #motivation
Rajesh Khanna
मेरे दिल को तेरे चहरे के सिबाये कोई और चहेरा नजर नहीं आता अब ले लो दिल की बात भाले ही तुम मेरे पास नहीं हो पर दिल मन ही मन बातें कर लेता है ©Rajesh Khanna मन ही मन
Anupam Mishra
किसी पिंजरे में कैद पंछी की तरह जैसे हमारा मन भी कैद हो गया है, सामने खुली चांदनी नजर आती है पर चार दिवारियों के बाहर नहीं निकल पाती, कुछ रस्मों की दीवारें हैं कुछ मर्यादाओं की रेखाएं हैं और कुछ ऊसूलों की सलाखें हैं जिनको तोड़कर जाने की उम्मीद नहीं बस देखकर सुकून मिले अब वही सही, ऐसा नहीं कि भीतर जोश या हिम्मत नहीं पर यह सोचकर हूं मन को बांध लेती कि जब इस पंछी का अंत निश्चित है ही फिर क्यूं इसे खुले में छोड़ना कभी, येे बावला तो देख लेता है कभी भी कुछ भी और चाहता है कि सब मिल जाए उसे यहीं, बेहतर है कि ये पिंजरे में बंद रहे यूं ही पता नहीं फट पड़े कब कौन सी ज्वालामुखी। ©अनुपम मिश्र #मन #बावला मन
Rk Prajapati
मन ही मन को जानता, मन की मन से प्रीत। मन ही मनमानी करे, मन ही मन का मीत। मन झूमे मन बावरा, मन की अद्धभुत रीत। मन के हारे हार है, मन के
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग करेंगे ख़ुद की बातें, मिला उसे अपनाया हमने, छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, कोई समय से बड़ा नहीं है, क्या लाए जो लेकर जाते, प्रेम और व्यवहार बनाकर, रखे जो सबसे सबको भाते, बैठ गए जो भाग्य भरोसे, कभी न पार नदी कर पाते, इंतज़ार कबतक करते हम, वक़्त के साथ नहीं चल पाते, शामिल ख़ुशियों को ना करते, 'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मन ही मन अकुलाते#