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परवाज़ हाज़िर ........
शिक्षा का महत्व.... इंसान के इंसान बने रहने में शिक्षा का बड़ा योगदान रहा है... यही सर्वयापी और सर्वसम्मित ज्ञान हे... " आदिकाल में इन्सान और जानवर में फर्क नहीं था... क्योंकि जीने के अलावा कोई कर्म नही था.... ©G0V!ND DHAkAD #InternationalEducationDay " कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन '
SK Poetic
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" अपना काम करो, फल की चिंता मत करो! यह बात अपने आसपास के लोगों से आपने बहुत बार सुनी होगी, है न? उनसे यदि पूछें कि ऐसा किसने कहा है 🤔, तो उनका जवाब होगा, "अरे! गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है", अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है! देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। कर्म करने में ही तेरा अधिकार है, फलों में कभी नहीं। तो लोगों ने इस श्लोक का अर्थ लगाया कि फल की परवाह करे बिना बस कर्म करते चलो। पर कौन-सा कर्म करें? इस बात को हम बिल्कुल दबा गए जबकि श्रीकृष्ण के उपदेश में यही बात (सही कर्म का चयन) सर्वोपरि है। नतीजा: हम ज़्यादातर गलत काम चुनते हैं, और फिर कहते हैं, "बस अपना काम करे चलो डूबकर, और फल की चिंता मत करो"। ये बात गलत और नुकसानदेह है। सबसे पहले आता है सही कर्म का चयन। सही कर्म कौन सा है? सही कर्म वो है जो अपनी व्यक्तिगत कामना की पूर्ति के लिए न किया जाए, बल्कि कृष्ण (सत्य) के लिए किया जाए। यही निष्कामता है। पर अपनी कामना को पीछे छोड़ना हमें स्वीकार नहीं होता, तो काम तो हम करते हैं कामनापूर्ति के लिए, और फिर ऐसे काम में जब तनाव और दुख मिलता है, तो खुद को बहलाने के लिए कह देते हैं, "कर्म करो, फल की चिंता छोड़ो"। खेद ये कि गीता के सबसे मूलभूत सूत्र का ही सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया है। आम जनता तो भ्रमित रही ही है, तथाकथित गुरुओं ने भी अक्सर सूत्रों की अनुचित विवेचना की है। नतीजा ये है कि आज कुछ लोग गीता का असत अर्थ करते हैं, और बाकी लोगों की गीता में रुचि नहीं। गीता कोई सुनी-सुनाई कहावत नहीं है, गीता जीवन-विज्ञान है, गीता हमारी कल्पना से आगे की बात है। ©S Talks with Shubham Kumar "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" #sharadpurnima
VINOD VANDEMATRAM
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ©VINOD TRIVEDI PALODA कर्मण्येवाधिकारस्ते. #Inspiration
Smita Sapre
विपरीत दिशा विपरीत दिशा में समानांतर गति से चलकर अपने चारों और ऐसी परिधि बनाना जहां प्रतिकूल हवा का भी मना हो आना। विपरीत दिशा आना भाग्य पर निर्भर है। पर विपरीत को अनुकूल कर्म से होगा बनाना। ©Smita Sapre #कर्मण्येवाधिकारस्ते✍️ #WForWriters
Lavkush Jaisawal
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा
Sunil Thakare
कौन सी चीज है ! जो मांगणे से नही मिलती! सब कुछ मिलता है। मगर मां नही मिलती। ©Sunil Thakare मां ।।।।।।।।।मां ।।।।।।।।।।मां
Dron boy
भगवान ने जब सोचा!! वह हर घर में मौजूद रहे नहीं पाएगा!! इसलिए भगवान ने मां बनाया!! हर दुखों का सहारा बना!! मां मां मां मां ©DRON BOYS मां मां मां मेरी मां #MothersDay2021