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!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
New Year 2024-25 दिसंबर आईना और जनवरी सपने दिखती है.. ©!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर} ss-10... #Newyear2024 #Life #me #you
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read moreYusra Kousar
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read morepriya prajapati
मन जिंदगी गुजार दी ना हमने तुमने लोगों ने हमारे मां बाप ने बस इस आस में की दूसरों के दिलों पर अपना एक प्यारा सा घर बन जाए फिर सदियों बीत जाने के बाद भी ना घर बन पाया ना दिल मिल पाया। सब बस आगे बढ़ते चले गए और आज भी बस मन में आस लेके ज़िंदगी में आगे बढ़ रहे है कई जिम्मेदारियों के साथ, कितना अच्छा होता ना अगर हम खुद के लिए जी पाते किसी और की जिंदगी में अपनी खुशी ढूंढने की बजाय हम खुद की जिंदगी को खुशनुमा बना पाते... दुख,आंसू,सांसों का उखड़ जाना अवसाद ये बस शब्द ही रह जाते जिनका कोई वास्तविक अर्थ होता ही नहीं। नादान है हम, हमें पता है कि मनचाहा कभी नहीं मिलता फिर चाहे वो लोग हो या चीज फिर भी ये हमारा मन बच्चों की तरह उसे पाने की चाह रखता है हम इसे रोक देना चाहते है लेकिन कुछ कर नहीं पाते मन में कसक देने वाली स्थिति जहां सब हाथों से फिसलता नजर आता है। हां सुना है संयम को पाकर हम चीजों को छोड़ सकते हैं लेकिन संयम को पाने की कला हमें नहीं आती कैसी अनचाही स्थिति है न जहां मनचाहा कुछ मिल हि नहीं पाता। सोचो तो लगता है कैसे जीव है हम जिसके पास सोचने की क्षमता होने के बाद भी अपनी परिस्थितियों को ठीक से नहीं आंक पाए या जान ही नहीं पाए। वैसे लोग कहते है कि कोशिश करने पर अपने मन को ढूंढा जा सकता है और जो मन संयम में हो जाए तो फिर मनचाहा न मिलने कि पीड़ा भी खुद पर परिहास लगने लगती है कि जिसके पीछे हम पागल थे क्या वो उस लायक था... हां बस शर्त ये है कि हमारा मन पास होना चाहिए...हमारा मन...जिसे हम जैसे कमजोर दिल वाले लोग शायद ही समझ पाएंगे...।। ©priya prajapati #Life #story #Nojoto #Quote #Google #Trending
TeacherShailesh
White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात् संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40
श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40
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