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Parasram Arora
मैं न कोई श्रेष्टता.प्राप्त आत्मा हूं और न ही किसी सिर् फिरे देवता का कोई भग्न अंश इसके बावजूद मुझे देवता मानकर एक मान्यता प्राप्त मंदिर में मेरी प्राण प्रतिष्ठां कर दी गई....... और मुझे विवश होकर अगरबत्ती का प्रधुषित.दम घोटू धुँवे से सामना करना पड़ा.... और श्रद्धांलुओं द्वारा चढ़ाया हुआ अर्घ्य अभिषेक अर्चना और पूजा कों नचाहते हुए भी स्वीकार करना पड़ा ©Parasram Arora प्राण प्रतिष्ठा
Aditya Kumar Bharti
जो बनाते थे कभी आजकल"स्टेटस"लगाने का दौर है। जनाब आज आदमी तो है वही मगर ये वक्त ही कुछ और है।। आदित्य कुमार भारती #status#प्रतिष्ठा
Kushab Fajage
प्रतिष्ठेचं ओझं घेऊन चालणाऱ्यांची आपली प्रतिमा सांभाळण्यातच दमछाक होते... #आयुष्य #आयुष्य #प्रतिष्ठा
HP
जीवन की सही दिशा निर्माण करने की क्षमता न तो धन में है, न पद और प्रतिष्ठा में। पद और प्रतिष्ठा
Manish Kumar Savita
पद,प्रतिष्ठा,धन मिल जाए किस्मत से तब भी कुछ नहीं कर पाओगे कीमत इनकी तभी जानोगे जब इन्हें मेहनत से कमाओगे।। #Manish Kumar Savita पद, प्रतिष्ठा,धन.…
Poonam
ऊंचे कुल की ऊंची प्रतिष्ठा का मान बनाए रखने का दायित्व केवल और केवल स्त्री के ही हिस्से आता है ©Poonam #दायित्व #कुल #प्रतिष्ठा #स्त्री
Anjali Jain
आज" राधा कृष्ण " में श्री कृष्ण का कितना सुंदर संदेश... कि हम प्रतिष्ठा के समक्ष प्रेम को क्यों नहीं देख पाते? प्रतिष्ठा, मस्तिष्क का विषय प्रेम, हृदय का.... प्रतिष्ठा, अहंकार को तुष्ट करती है प्रेम, हृदय को तृप्त करता है! जीवन में प्रेम का साम्राज्य हो बस,विवेक का पहरा अवश्य हो!! #प्रेम/प्रतिष्ठा#०४.०९.२० #spark
Rahmatullah
वो प्रतिष्ठा सिखलाते हैं जिसके अंदर शर्म नहीं वो प्रतिष्ठा सिखलाते हैं प्रेम सा सुन्दर भाव को भी जो घटिया कर्म समझते हैं वैसे वैसे लोग हमें प्रतिष्ठा सिखलाते हैं बेटी के जज़्बात दबाना प्रतिष्ठा वो कहते हैं एक अनभिज्ञ को पास बिठाना प्रतिष्ठा वो समझते हैं देखो ऐसे लोग हमें प्रतिष्ठा सिखलाते हैं जिसके मन में जात है सबकुछ धर्म बड़ा है प्यार नहीं कुछ मांस को खाना धर्म है कहते वास्तविकता का ज्ञान नहीं कुछ सोचो ऐसे लोग हमें प्रतिष्ठा सिखलाते ✏रहमतुल्लाह वो प्रतिष्ठा सिखलाते हैं
Yashveer Singh
मंजिले मिले ना मिले,सफ़र में रहो जिंदा रहना है अगर तो,ख़बर में रहो दिल टूटने की बहुत शिकायत करते हो बहतर तो यही है फिर अपने घर मे रहो मर्तबा लगता है अपने को अपना बनाने मे किसीके दिल मे नही उसकी नजर में रहो रिश्ता सम्भालने का ये एक बहतर हुनर हैं उसे खोने का डर दो खुद भी डर में रहो मैं मुसव्विर हूँ तेरी मेरी जिंदगी का दोस्त मेरा हौसला बनकर मेरे पंख, पर में रहो तेरी मेरी शुआओ के तराने गूंजेंगे इस फ़िज़ा में यश तुम बासुरी बनकर मेरे अधर में रहो मर्तबा... प्रतिष्ठा शुआओ... किरण