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New पत्थर के फूल Quotes, Status, Photo, Video

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M.K Meet

दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!

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दयार-ए-इश्क में, मुश्किल है दिल को समझाना 
के मासुम मशविरों को, पागल ये मानता ही नहीं

©M.K Meet दिल पत्थर होने लगा है 
या कि पत्थर बना रहा कोई!!

Mohan Sardarshahari

चाहत के फूल

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यह दिल और इसमें चाहत के फूल 
भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल
किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह
जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।।

©Mohan Sardarshahari चाहत के फूल

Ghumnam Gautam

गुल व भँवरे की हर कहानी में
हैं बहारों के बाद पतझर भी

घर में अमरूद गर लगाओगे
आएँगे आँगनों में पत्थर भी

©Ghumnam Gautam #गुल
#पत्थर
#कहानी 
#ghumnamgautam

Sunil Kumar Maurya Bekhud

पत्थर
सड़क किनारे आज पड़ा हूँ
मेरी होगी पूजा कल
इंतजार में बैठा हूँ मैं
सब्र का मीठा होगा फल

नहीं किसी को घाव मैं देता
खुद ही टकराती दुनिया
मेरी यही कामना सबको
मिल जाए अपनी खुशियाँ

मैं कठोर हूँ इसमें मेरा
कोई भी है दोष नहीं
जहाँ मुझे कोई भी रखे
रहता हूँ खामोश वहीं

कोई ढूढ़ता मुझमें ईश्वर
कोई ढूँढता है प्रियतम
बेखुद जैसा भाव हो जिसका
उसी रूप में मिलते हम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्थर

अनुज

कुछ तो फूल खिलाओ 🌹

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chander mukhi

#फूल

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काँटे भी जरुरी हैं साहब 
फूलों की हिफाजत के लिए

©chander mukhi #फूल

PRIYA SINHA

❤"मुहब्बत के फूल"🌹

मुहब्बत के फूल अक्सर , 
मुरझा जाया करते हैं -

लफ्ज़ों की बेरूखी से ;
लहजों की अनदेखी से ! 

मुहब्बत के फूल अक्सर , 
मुरझा जाया करते हैं -

बेवजह के अहम से ;
क्रोध और वहम से  ! 

मुहब्बत के फूल अक्सर , 
मुरझा जाया करते हैं -

कभी चुप्पी , लड़ाई से ;
कभी झूठ , बेवफाई से ! 

मुहब्बत के फूल अक्सर , 
मुरझा जाया करते हैं -

किसी तीसरे के प्रवेश से ;
व्यर्थ के कलह क्लेश से  ! 

प्रिया सिन्हा
𝟐𝟗. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒.
(शुक्रवार)

©PRIYA SINHA #मुहब्बत #के #फूल

KUMARI USHA AMBEDKAR

चाँद तारों में फूल बहारों में

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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

चाहकर भी घर से निकलते नहीं अब..
खूब फिसले जमाने फिसलते नहीं अब.. 

वो बड़े ही सख्त मिजाज़ हुए रे कलम 
तेरे लफ्जों के कमाल चलते नहीं अब.. 

पिघले होंगे पत्थर किसी के पिघलाये से 
मेरे पिघलाये से वो पिघलते नहीं अब..

रातों के इंतजार में रहता हूँ तुम्हारे लिये 
ये दुश्मन दिन जल्दी ढलते नहीं अब..

ख़ुद को बाँट तो लिया सर्द गर्म रातों सा 
मौसम हैं कि सही से बदलते नहीं अब..

वादियाँ मशगूल हैं हुस्न की फिराक में 
दिवाने दिल के अरमाँ मचलते नहीं अब..

एक हम हैं, कोशिशें खूब की भुलाने की 
एक वो हैं, दिल से खिसकते नहीं अब..

©अज्ञात #पत्थर

Subhendu Bhattacharya

#वह तोड़ती पत्थर (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

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