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Ghumnam Gautam
White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है― आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें? ©Ghumnam Gautam #sad_shayari #कहाँ #ghumnamgautam
#sad_shayari #कहाँ #ghumnamgautam
read moreAshraf Fani
White वक़्त से बच के कहाँ जायेंगे हर घड़ी फिर के वहीं आयेंगे रूप आँखों में लिये फिरते हैं कहीं मिल जाये तो मर जायेंगे ©Ashraf Fani【असर】 वक़्त से बच के कहाँ जायेंगे हर घड़ी फिर के वहीं आयेंगे रूप आँखों में लिये फिरते हैं कहीं मिल जाये तो मर जायेंगे #ashraffani #love_shayari
वक़्त से बच के कहाँ जायेंगे हर घड़ी फिर के वहीं आयेंगे रूप आँखों में लिये फिरते हैं कहीं मिल जाये तो मर जायेंगे #ashraffani #love_shayari #शायरी
read moreNurul Shabd
follow for more ©Nurul Shabd #हमने #पहनी तो खूबसूरत लगी, हाय, नथनी सुनार की कहाँ खूबसूरत थी।
Nilam Agarwalla
White जाएँ तो जाएँ कहाँ, नहीं कहीं भी ठौर। कोई नहिं अपना यहां, है स्वार्थ का दौर।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सीधे सच्चे लोग। शैतानों के बीच रह, कष्ट रहे हैं भोग।। जाएँ तो जाएं कहाँ, लेकर मन की बात। कड़वी होती है बड़ी, सीधी सच्ची बात।। धीरज होना चाहिए, बदलेंगे हालात। जाएँ तो जाएँ कहां, सब देते आघात।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, अपने घर को छोड़। रूठ गये हमसे सभी,चल रहे मुंह मोड़।। बैठे हैं चुपचाप हम, आई किसकी याद। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सुने कौन फरियाद।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #जाएँ तो जाएँ कहाँ
Arun kumar
White वैसे तो कहने को अपना ये सारा जहाँ है .. मै ढूंढता फिरता हूँ हर जगह कोई तो बता दे मेरा ठिकाना कहाँ है ... ©Arun kumar #alone_sad_shayri मेरा ठिकाना कहाँ है
#alone_sad_shayri मेरा ठिकाना कहाँ है #Life
read moreRavindra Singh
White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ , अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर , मोह कुछ पल के लिए जब , मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ । मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे , मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे, मुझे तालाबों, पोखरों , के पास बैठना अच्छा लगने लगा है । जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को , एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को , मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा , नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है । मैं नहीं करता बहस लोगों से अब, वो जैसा सोचे मेरे बारे में, मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ । कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । ©Ravindra Singh कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari
कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari #Poetry
read moreRicha Dhar
White तुम्हें ही सोचूं ये कहाँ तक ठीक है चांद तारों से कहकर तुम्हें मनाऊं ये कहा तक ठीक है आँखों की ज़ुबान तो बेजुबान भी समझ लेते हैं समझदारों को समझाऊं ये कहा तक ठीक है चांद,तारों,पेड़,पौधों,पशु,पक्षियों किससे नहीं तेरा ज़िक्र किया सब समझ गए,एक तुम न समझो ये कहाँ तक ठीक है काश बिना कहे पढ़ लेते तुम मेरा मन तुम्हें हर बात समझाऊं ये कहाँ तक ठीक है ©Richa Dhar #goodnightimages कहाँ तक ठीक है
#goodnightimages कहाँ तक ठीक है #कविता
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