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Ravendra
GRHC~TECH~TRICKS
जानिए श्री लक्ष्मी को जन्म क्यों लेना पड़ेगा? **************************************** मालूम है आपको श्री लक्ष्मी ने जन्म क्यों लेना पड़ेगा। वो भी जन्म चार हाथ के साथ प्रमाण के साथ इस कलयुग में ? हमारे समस्त ब्रह्माण्ड की एक विशेष शक्ति होती है। जिसको एक श्री रुप में अर्थात श्री लक्ष्मी रूप में जाना जाता है। अगले कुछ वर्षों के बाद श्री लक्ष्मी को चार हाथ के साथ, गोस्वामी कुल में जन्म लेना पड़ेगा यह मैं 100% दावा करता हूं। समस्त पृथ्वी वासियों क्योंकि विष्णु भगवान स्वयं, मेरे भाई पुत्र रूप में लड़का बनकर आ चुके हैं 23/12/23 =23:00 भारतीय समयानुसार क्योंकि लक्ष्मी के बिना देव लोक सम्पूर्ण अधुरा- अधुरा सा है। इसलिए समस्त ब्रह्माण्ड के देवताओं की शादी कारण भी मैं स्वयं श्रीकृष्ण भगवान ही हुं। सबसे पहले मेरे भक्तों की शादी करवाना भी अनिवार्य है, संसार में इसके हमारी लीला भी अहिंसा पर शुरू हो रही है। 04/07/2025 से इस पृथ्वी पर हमें दिखाना और बोलना नहीं। केवल हमारी कुछ समय की चुप्पी ही एक, समस्त ब्रह्माण्ड को हिलाकर रखने वाली है। समस्त संसार वासियों व पृथ्वी वासियों । क्योंकि एक लड़के का जन्म ही इसी पृथ्वी पर इतिहास , बनकर रह जाने वाला हो जाएगा आपके ही बीच-बीच। यहीं क्रिया की विवशता का कारण बनेगा लीला हमारी । श्री लक्ष्मी को चार हाथ के साथ जन्म का कारण भी बन जाएगा । समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त नारी शक्ति के आगे। सुह्रदय से धन्यवाद जी ©GRHC~TECH~TRICKS( मैं भगवान श्री कृष्ण हूं शत् प्रतिशत) #grhctechtricks #New #माढ़ा #कुलदीपगोस्वामी #विष्णु श्री लक्ष्मी को जन्म क्यों लेना पड़ेगा? **************************************** म
Medha Bhardwaj
Ravendra
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N S Yadav GoldMine
मंदिर की सात परिक्रमा करने से मिलता है गिर्राजजी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पुण्य आइये जानिए !! 📯📯 राधा दामोदर मंदिर :-{Bolo Ji Radhey Radhey}सप्त देवालय राधा दामोदर मंदिर, सात परिक्रमा देती है ये अनूठा फल, रोचक है इतिहास :- 🌅 चैतन्य अनुयायी जीव गोस्वामी ने प्रतिष्ठित किए ठा. राधादामोदर। मंदिर की सात परिक्रमा करने से मिलता है गिर्राजजी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पुण्य। जगन्नाथ जी एवं स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जीव गोस्वामी को प्रदत्त गिर्राजजी की शिला के दर्शन भी यहां भक्तों को हो रहे हैं। 🌅 गौड़ीय वैष्णव परंपरा के षड्आचार्यों में शामिल श्रील जीव गोस्वमी के सेव्य ठा. राधादामोदर देव का मंदिर वृंदावन में सेवाकुंज के समीप स्थित है। मंदिर में श्रीकृष्णदास कविराज द्वारा सेवित राधा वृंदावनचंद्र, रूप गोस्वामी द्वारा प्रतिष्ठित जीव गोस्वामी पाद के सेव्य ठा. राधादामोदर देव जिनके वामांग में राधारानी तथा दाईं ओर ललिता सखी, गीत गोविंद के रचनाकार जयदेव गोस्वामी के आराध्य ठा. राधामाधव तथा भूगर्भ गोस्वामी के प्राणनिधि राधा छैलचिंकन प्रभु विराजमान हैं। 🌅 जगन्नाथ जी एवं स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जीव गोस्वामी को प्रदत्त गिर्राजजी की शिला के दर्शन भी यहां भक्तों को हो रहे हैं। एक ही मंदिर में इतने दिव्य दर्शन वृंदावन के किसी दूसरे मंदिर में संभव नहीं। तभी तो वैष्णव संप्रदाय में राधादामोदर मंदिर की साधना को सबसे बड़ी साधना माना गया है। यहां के बारे में उल्लेख है कि मंदिर की सात परिक्रमा करने से गिर्राजजी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पूरा पुण्य श्रद्धालु को मिल जाता है। 🌅 सन् 1543 में माघ शुक्ला दशमी के दिन मंदिर में चैतन्य महाप्रभु के पार्षद श्रीरूप गोस्वामी ने ठा. राधादामोदर देव को प्रतिष्ठित किया। उनकी सेवा का दायित्व जीव गोस्वामी को सौंप दिया। ऐतिहासिक प्रसंग है कि इसी के साथ के साधक चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी सनातन गोस्वामी प्रिदिन वृंदावन से गोवर्धन जाकर गिरिराज जी की परिक्रमा करते थे। 🌅 किंतु वृद्धावस्था में सनातन गोस्वामी की शिथिलता और दृढ़ आस्था में दृवित होकर ठाकुरजी ने खुद उनको अपने चरण चिन्ह, वंशी, लकुटी और गाय के खुर से अंकित यह शिला प्रदान की जो सकल मनोरथदायक गिरिराज परिक्रमा का फल मंदिर की सात परिक्रमा करने पर आज भी दे रही है। 🌅 राधादामोउदर दर्शन के साथ भ्ज्ञक्त बड़ी संख्या में इस शिला की सात परिक्रमा जरूर करते हैं। रूप गोस्वामी की भजन कुटी व समाधि, जीव गोस्वामी व कृष्णदास कविराज गोस्वामी की समाधि तथा जयदेव गोस्वामी की समाधि मंदिर परिसर में ही स्थित है। इसके साथ ही सैकड़ों गौड़ीय आचार्यों की समाधि मंदिर परिसर में स्थित है। 🌅 मुगलिया विप्लवकाल में राधादामोदर मंदिर भी जयपुर में स्थापित करवाया गया। सन् 1739 में पुन: मंदिर के श्रीविग्रहों को पुन: वृंदावन के मंदिर में विराजित करवाया गया। इसके साथ ही सैकड़ों गौड़ीय आचार्यों, भक्तों और संतों की समाधियां भी मंदिर में स्थित हैं। 🌅 भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद ने वृंदावन आकर सबसे पहले राधादामोदर मंदिर में ही निवास किया और इसी को अपनी साधना स्थली बनाया। यहीं साधना करते हुए श्रील प्रभुपाद ने श्रीमद्भागवत गीता का कई भाषाओं में अनुवाद भी किया। वात्सव में ठा. राधादामोदर मंदिर गौड़ीय संप्रदाय के समृद्ध ग्रंथागार के रूप में स्थापित रहा है। ©N S Yadav GoldMine #yogaday मंदिर की सात परिक्रमा करने से मिलता है गिर्राजजी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पुण्य आइये जानिए !! 📯📯 राधा दामोदर मंदिर :-{Bolo Ji Radhe
Nimisha Goswami
तेरी नज़रों से घायल हूं। तेरी मीठी मुस्कुराहट मार न डाले कहीं। तेरा साथ होना ही काफी हू। तुझ पर जिंदगी लुटाना चाहता हू। निमिषा गोस्वामी ©Nimisha Goswami #तू मेरी जिंदगी है। #निमिषा गोस्वामी
Ravendra
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