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Ek villain
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति सिंह सिंहभूम के तीसरे कार्यकाल में मोहर लगाने की तैयारी के बीच चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान आतंकी सरगना सैयद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर जिस तरह से अड़ंगा लगाया उससे यह और अच्छे से स्पष्ट हुआ है कि चिंकू नेतृत्व में चीन और अधिक बेलगाम होने के साथ विश्व शांति के लिए सिरदर्द बने गा हाल ही में चौथी बार है जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र में किसी आतंकी का खुलकर बचाव किया है इससे पहले पाकिस्तान के ही तीन और आतंकियों को प्रतिपादित करने के प्रयास में यानी फिर चुका है लश्कर जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े रहने से सभी आतंकी भारत के लिए खतरा हैं इनका बेशर्मी से बचाव कर चीन ने केवल यह सिद्ध किया है कि उन्हें अपनी वैश्विक छवि की चिंता नहीं बल्कि यह भी है कि मैं भारतीय हितों की चोट पहुंचाने वाले अपने रवैया का परित्याग करने वाला नहीं भले ही इसके लिए आतंकियों की दाल ही क्यों ना बनना पड़े जी की आड़ एलियन रवैया की झलक चीन कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में राष्ट्रपति चिन्ह सिंह ने भाषण में से भी मिली है ©Ek villain #touch #पाकिस्तान के आतंकवादियों को बढ़ावा देता है चीन
Brandavan Bairagi "krishna"
।।द्वार-खोलो।। दिल के द्वार तुम खोलो। झूठ कभी ना बोलो। जो भी बोलो पहले सोचो। हर किसी के सामने अपने राज ना खोलो। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" द्वार खोलो #WinterLove
Arora PR
असमंजस और नेराशय के गड्डे मे आखिर तुम कब तक़ यहां पड़े रहोगे अच्छा होगा आँखे अपनी खोलो वरना अगले जन्म मे भी तुम्हे यही सब फिर दोहराना पड़ेगा ©Arora PR आँखे अपनी खोलो
Rajesh
कांच का बंगला पत्थर कैसे मारु बड़े बाप की लड़की लाइन कैसे मारूं ©riya #DhakeHuye रिया बंजारा खोलो
Anuj Ray
पंख खोलो तो सही" पंख खोलो तो सही,करके इशारे आसमां ख़ुद तुम्हें बुलाएगा। समझ रहे हो जिसे दूर की मंज़िल, खुशियों का ठिकाना वही बन जाएगा। छोड़कर दर जरा हिम्मत तो करो, पांव के नीचे सारा जहां नज़र आएगा। ©Anuj Ray # पंख खोलो तो सही"
Vikram Prashant "Tutipanktiyan "
कह रहे हो कोई कहानी तुम जोश में मत खोलो कई गुत्थियां जान कोई अटकी हो न जाने उसकी आगोश में कि हाथ तुम्हारे पकड़ कर वो चल दी थी संग कहीं की थी कई अठखेलियां, नादानियाँ, मस्तियाँ नाम कुछ दिए बिना राज खोलें हो उसने अल्हड़पन के आवेश में कई न जाने वो किस शहर की थी जी रही थी कहीं दुबकी दुबकी तुम्हारे हाथ पकड़ कर कर रही थी पागलपन चल रही थी कहीं भी तुमने सिगरेट सुलगाया था कई कश उसने मारा था धुंआ अटक अटक रहा था से दूर निकल कर हर कश में कितने रिंग बनाया था शराब की हर घुट भी कर रही थी कहानी बयां पीछे छोड़कर न जाने कैसी जिंदगी। तुम चाहे हो शब्दों के जादूगर उलझाते हो जिंदगी पर जो कहानी तुम कह रहे वो है सांस लेती जिंदगी मत कहो उस वक़्त वो तुम्हारे प्रेम में थी इस पल तुम उसके प्रेम में हो नाम कुछ नहीं दिया जब उसने तुम्हारा उसके इस पल पर हक नहीं कह रहे हो कोई कहानी तुम जोश में मत खोलो कई गुत्थियां जान कोई अटकी हो न जानें उसकी आगोश में। ©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " मत खोलो कई गुत्थियां #lost