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Matangi Upadhyay( चिंका )
गुलाब जैसे हो, गुलाब लगते हो... गुलाब जैसे हो, गुलाब लगते हो... हल्का सा मुस्कुरा दो बस , लाज़वाब लगते हो। ©Matangi Upadhyay( चिंका ) लाजवाब लगते हो ❤️ #matangiupadhyay #Nojoto #Hindi #Love #Life #thought
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read moreAnamika Raj
White शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️ ©Anamika Raj शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️
शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️
read moreRohan Roy
White आसान रास्ते वाकई हमें आसान लगते हैं। लेकिन होते नहीं है। यह कई मुश्किलों को खड़ी कर देती है। जब हम आसान रास्तों को ढूंढ लेते हैं। एक बात हमेशा ध्यान रखें। आप जिस मार्ग पर चल रहे हैं, यह आपके निर्णय की शुरुआत है। अगर आपका निर्णय सही है। तो आपके शुरुआत और अंत दोनों बेहतर होने वाले हैं। ©Rohan Roy आसान रास्ते वाकई हमें आसान लगते हैं | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | in life quo
आसान रास्ते वाकई हमें आसान लगते हैं | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | in life quo
read moreAnjali Singhal
"ऐसा नहीं है कि एक ही नज़र में भाए थे वे हमें! अच्छे लगते-लगते अच्छे लगने लगे वे हमें!!" #AnjaliSinghal #Shayari #loveshayari shayaristatu
read morePRIYA SINHA
White 🫂"बस तुम हो" 🫂 जीवन के गीत में ; हार या जीत में ; बस तुम हो ! सूनेपन की भीत में ; प्रहार या प्रीत में ; बस तुम हो ! समर्पण के रीत में ; बेकार या कृत में ; बस तुम हो ! प्रिया सिन्हा 𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. (शनिवार). ©PRIYA SINHA #बस #तुम #हो
Vinod Mishra
Dr.Priyanka Chandra
तुम ख़फ़ा ख़फ़ा से लगते हो तुम्हे मनाऊ कैसे...? तुम्हारी इस चुप्पी को अपनी बातों मे उल्झाऊ कैसे..?? ©Dr.Priyanka Chandra #lovequotes तुम ख़फ़ा ख़फ़ा से लगते हो तुम्हे मनाऊ कैसे...? तुम्हारी इस चुप्पी को अपनी बातों मे उल्झाऊ कैसे..?? love
#lovequotes तुम ख़फ़ा ख़फ़ा से लगते हो तुम्हे मनाऊ कैसे...? तुम्हारी इस चुप्पी को अपनी बातों मे उल्झाऊ कैसे..?? love
read moreनवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
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