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Manojkumar Srivastava
भारत की प्राचीन आध्यात्मिक क्रिया- योग ©Manojkumar Srivastava #योग #आध्यात्मिकता
बेजुबान शायर shivkumar
White // करें योग रहे निरोग // योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रियाशील रखता योग मनुष्य के दिमाग को शांत रखता योग से मानव तनाव रहित रहता योग से बेहतर नींद का सुख पाता ये भूख को बढाये पाचन दूरुस्त रखे योग समाधि चित को शांत रखे योग मनुष्य की आकुलता, कलुषता पीड़ा, चिंता, तनाव को खत्म करता योग शरीर सांस व मन को जोड़ता नित प्रति शारीरिक आसन स्वांस अभ्यास, ध्यान से शरीर स्वस्थ रहता योग के जनक महर्षि पतंजलि कहे गये योग में चौरासी आसन, मुद्राएं होती सबसे उत्तम शीर्षासन, सर्वांगासन और सिद्धासन माने जाते नित योग करने से शरीर लचीला हस्टपुस्ट स्वस्थ रहेगा सुंदर सुडोल स्वस्थ शरीर का राज नित योग के लिए समय निकालो प्रभात भाग दौड़ की जीवन शैली शरीर को अस्वस्थ रोगी बनाती करें योग रहे निरोगी ये नियम अपनाते हैं ।। ©Shivkumar बेजुबान शायर #Yoga #yogaday #International_yoga_day #YogaGoodHealth #yogalife // करें योग रहे निरोग // #योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रिय
#Yoga #yogaday #International_yoga_day #YogaGoodHealth #yogalife // करें योग रहे निरोग // #योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रिय #स्वस्थ #कविता #बेहतर #शांत
read moreAjay Tanwar Mehrana
प्रेम योगी हैं बहुत कम बिना इनके पड़े अकाल योग करने का नहीं दम इसलिए है जिस्म जाल । योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल , योग मेरा और तुम्हारा बन रहा प्रतिपल मिशाल । प्रेम भोगी हैं बहुत सारे जो भोगें गम मलाल , जिन्हें प्रिय हैं खूबसूरत शक्ल और गुलाबी गाल । बिना प्रेम भोगे गले ना किसी की नौजवां दाल इसलिए सदियों से चलती आ रही प्रिय प्रेम चाल । इस मिलन का योग है भोग में निश्चित दलाल , योग युग का या स्वयं का बन गया अद्भुत कमाल । . ©Ajay Tanwar Mehrana #योग #युग #का या स्वयं का
Yogi Sonu
योग का एक फ़ायदा है पति कुछ भी बोले पत्नी कुछ भी बोले फ़र्क ही नही पड़ता योग का यह सबसे मजेदार लाभ है है न मजेदार ©Yogi Sonu योग का एक फ़ायदा है पति कुछ भी बोले पत्नी कुछ भी बोले फ़र्क ही नही पड़ता योग का यह सबसे मजेदार लाभ है है न मजेदार #jokas #teatime
Manojkumar Srivastava
White विशाल से विशाल पत्थर सैकड़ों साल पड़ा रहता है तो उसमें कोई गतिविधि और हलचल नहीं होती! वह हिल- डुल नहीं सकता और न कोई क्रिया कर सकता क्योंकि वह अचेतन है,निष्क्रिय है! दूसरी ओर चींटी सबसे छोटा जीव है फिर भी चल,फिर सकता है,आगे- पीछे चल सकता है! खा पी सकता है,सो सकता है और वह जो चाहे वह क्रिया कर सकता है क्योंकि वह चेतन है,सजीव है! मनुष्य के अलावा अन्य जीवों में चेतना का स्तर न्यून होता है! चेतना जितनी अधिक होगी सृजनशीलता,चिन्तनशीलता- मननशीलता उतनी अधिक होगी जिससे नये- नये विचार उत्पन्न होंगे! मनुष्यों में भी चेतना का स्तर समान नहीं होता! मैंने इंटरमीडिएट में तर्कशास्त्र पढ़ा है! इसमें मनुष्य और पशु में अन्तर बताया गया है! मनुष्य= पशुता+ विवेकशीलता (Human beings=Animality + Rationality) चिन्तन- मनन करनेवाले प्राणी को मनुष्य कहा गया है और जो चिन्तन- मनन में दक्ष होता है उसे मुनि कहते हैं! अत: मुनियों को चिन्तन- मनन से भागना नहीं चाहिए! किसी भी विषय पर निष्पक्ष होकर तार्किक रूप से विचार करना चाहिए किन्तु यह घोर आश्चर्य का विषय है हर वर्ग- अनपढ़,शिक्षित,उच्च शिक्षित,गरीब,धनी से चिन्तन- मनन की प्रवृत्ति लुप्त हो रही है! मुनि समाज में स्थिति सुखद नहीं है! किसी विषय पर चर्चा नहीं करना और किसी पुस्तक में जो भी लिखा गया है उसे ही अन्तिम मान लेना मानसिकता बन गयी है जो मुनि समाज के विकास में बाधक बन सकता है! जय जय जीव मुनि/ मुनिमती जी!🙏🌺🌻🌹🌷 सद्गुरु योगेश्वर शिव मुनि महाराज की जय! ©Manojkumar Srivastava #nightthoughts #योग का महत्त्व#
#nightthoughts #योग का महत्त्व# #मोटिवेशनल
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