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Arun Mahra
White समय पर धोखा देने वाले तो बहुत मिलेंगे पर समय के साथ काम देने वाले बहुत कम मिलेंगे अगर अपना लाइफ सुधारना है तो खुद सुधारो किसी के सहारे से नहीं किसी का दिया हुआ चीज वापस चले जाति है और अपना किया हुआ चीज वापस ला के रख जाति है ©Arun Mahra अपना लाइफ खुद सुधारो और आगे बढ़ो जिंदगी में
Manya Parmar
deepika goswami
कभी अधुरा सा कहू तो | तुम पुरा समझ जाना || हम तो अलझे है तुममे | तु हममे न कही उलन जाना || ©deepika goswami #happypromiseday कभी अधुरा सा बहू तो हुस पुरा समझ जाना हम तो अलझे है तुमभे तु हममे न कही उलन जाना
Sajan Baliyan Comedian
नीति.......
बहू बनके आई हो किसी घर की तो उस घर की मान मर्यादा बनाना बड़े नाजुक और प्यार के रिश्ते होते हैं ससुराल के उन रिश्तों को प्यारा से निभाना जैसे तुम किसी घर की बेटी हो उसी तरह ननद भी बेटी है भूल न जाना जिस तरह मां का प्यार और गुस्सा देखकर भी मां मेरी मां है सास को भी उसी जगह पर हमेशा पाना (काश ये बातें सच में बहू समझे तो ना किसी मां की घर में बेकद्री होगी ना बेटी को मायका भूलना पड़ेगा) ©नीति....... #बहू
Vinita Bhadani
एक बेटी एक दिन में बड़ी हो जाती है मायके में लाडो लाडो कहलाने वाली जब बहू की पदवी पाती है हर किसी को लगता है सबकी सेवा करे सबको समझे पर इसे समझने वाला कोई नहीं होता है वाह रे दुनिया तेरी रीत कैसा एक तरफा है ये प्रीत जहां जन्म से पली बढ़ी सबको छोड़ कर आ जाती है पर ससुराल में सम्मान मिल रहा या अपमान सब सहती जाती है देखो ना मायके में लाडो लाडो कहलाने वाली एक दिन में बड़ी हो जाती है !! ©Vinita Bhadani #बहू
Ramgopal
चलो आगे बढ़ें, हमेशा हौसला बनाएं, मुश्किलें आएं, रास्ते भी बनाएं। रौशनी का सफर है, अंधकारों में भी, हिम्मत बुलंद है, हर रास्ते पे चमकाएं। कभी हार ना मानो, कभी मत रुको, चरणों में हैं कई, मगर ऊँचाइयों की ओर बढ़ो। ख्वाबों को चुनौती मिलेगी, पर रास्ता है साफ, मेहनत से बनेगा, हर सपना पूरा होगा। जीवन का हर कदम, एक नई कहानी है, मुसीबतों को आवाज बना कर, खुद को यहाँ पुकारो। आगे बढ़ो, मंजिल है कहीं दूर, हर कदम पर मिलेगी, नई रौशनी, नई उड़ान। ©Ramgopal "सफलता की ऊँचाइयों की ओर - आगे बढ़ो, ना रुको!" #Trending #motivate #motivatation #suvichar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- बहू के वह रूप में , खड़ी जो वह धूप में , काहे नहीं आप उसे , बेटी अब मानते । घर द्वार छोड़ आयी , राह सभी मोड़ आयी , क्या उसका बलिदान , आप नहीं जानते । आँचल फैलाये है जो , शीश ये झुकाए है जो , घर की है अब लक्ष्मी , नहीं पहचानते । बेटियाँ बचाओ सब , बेटियाँ पढ़ाओ सब , क्यों न यही आखिर में , आप लोग ठानते ।। ०९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- बहू के वह रूप में , खड़ी जो वह धूप में , काहे नहीं आप उसे , बेटी अब मानते । घर द्वार छोड़ आयी ,