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बेजुबान शायर shivkumar
White गूंज उठे ये कुंजर भी , इन कलियों में पंखुड़ियां खिल सी आयी हैं । जीवन में अमृत बरसाने को, ये बारिश की बूंदें धरती पे उतर आयीं है ।। ये नन्हे नन्हे पेड़- पौधों से, उन जंगल में हरियाली सी खिलती है । लाल पीली कोंपल से, ये जीवन की छटा निराली सी होती है ।। वृक्षों की महिमा निराली , प्रकृति भी इन वृक्षों से जब सजती है। मोरों की कूंक और चिड़ियों की चहचहाहट, इन वनों में जब ये गूंजती है ।। वर्षा ऋतु भी अच्छी होती , जहां इन वृक्षों की अधिकता होती है । धरती रेगिस्तान बन सकती है , जहां इन वृक्षों की न्यूनता होती है ।। वन क्षेत्र के संरक्षक बनकर, वनों का महत्व समझाते रहते थे ।। जो धरा वृक्ष विहीन हो जाये तो , वहां ये धरती बंजर हो जाते थे ।। अच्छी उपजाऊ धरती में भी , बिन वृक्षों के कंगाली छा जाती है।। धरती को हमको बचाना है , इस धरा पर खूब वृक्ष लगाना है । आओ हम सब वृक्ष लगाएं , जीवन में हरियाली की खुशियां लाए । घर घर में छोटे छोटे पौधे लगाकर, उस घर संसार को उपवन बनाएं ।। ©बेजुबान शायर shivkumar #cg_forest #Forest #Nojoto गूंज उठे ये कुंजर भी , इन कलियों में पंखुड़ियां खिल सी आयी हैं । जीवन में अमृत बरसाने को, ये बारिश की बूंदे
Himanshu Prajapati
White हर कदम हर पल कैसे रहना है हर समस्या से कैसे लड़ना है क्या सही है क्या गलत है कैसे करना है सुख हो या दुख अपने दिन को शांत तरीके से कैसे भरना है, यह सब करना सिखाते हैं पापा सही तरीके से बात करना बताते हैं पापा जिंदगी के वसूल क्या है उसे कैसे कबूल किया जाए हर एक हल समझाते हैं पापा...! ©Himanshu Prajapati #fathers_day हर कदम हर पल कैसे रहना है हर समस्या से कैसे लड़ना है क्या सही है क्या गलत है कैसे करना है सुख हो या दुख अपने दिन को शांत तरी
#fathers_day हर कदम हर पल कैसे रहना है हर समस्या से कैसे लड़ना है क्या सही है क्या गलत है कैसे करना है सुख हो या दुख अपने दिन को शांत तरी #विचार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।। दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई । मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।। गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था । पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।। खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए । मैं यहीं थककर रुका तो ये हमारी हार है ।। कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले । निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।। हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे । देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।। कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये । आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।। जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर । जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग
ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग #शायरी
read morearun mourya1c
White लोग समझाते तो ऐसे है , जैसे वो खुद कितने समझदार हो। ©Pro ARUN KUMAR #sad_quotes लोग समझाते तो ऐसे है , जैसे वो खुद कितने समझदार हो।#🤏🆕🆕🆕🆕🆕🆕##vi
#sad_quotes लोग समझाते तो ऐसे है , जैसे वो खुद कितने समझदार हो।#🤏🆕🆕🆕🆕🆕🆕##Vi #विचार #😛😜😜😜😜😜😜
read moreAYUSH SINGH
एक के बाद एक और फरमाइश है हमारे सब्र की ही ये आजमाइश है बहुत समझाते हैं अपनी हद में रहें उनके लिए जिंदगी एक नुमाइश है l ©AYUSH SINGH #sadak एक के बाद एक और फरमाइश है हमारे सब्र की ही ये आजमाइश है बहुत समझाते हैं अपनी हद में रहें उनके लिए जिंदगी एक नुमाइश है l
AYUSH SINGH
Black एक के बाद एक और फरमाइश है हमारे सब्र की ही ये आजमाइश है बहुत समझाते हैं अपनी हद में रहें उनके लिए जिंदगी एक नुमाइश है l ©AYUSH SINGH एक के बाद एक और फरमाइश है हमारे सब्र की ही ये आजमाइश है बहुत समझाते हैं अपनी हद में रहें उनके लिए जिंदगी एक नुमाइश है l#shayari
एक के बाद एक और फरमाइश है हमारे सब्र की ही ये आजमाइश है बहुत समझाते हैं अपनी हद में रहें उनके लिए जिंदगी एक नुमाइश है lshayari #शायरी
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