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Balraj Chaprana
इतनी ज्यादा कड़की हुई है लड़की को लड़की हुई है। blrj कड़की...
Babli Gurjar
लायक कैसे बन पाते हम जब ना लायकी किस्मत में थी भरोसे का साथ हमे हुआ ना हासिल खुशियां सूली चढ़ी काम आते रहे जिनके सदा फिक्र हमारी उनको भी नहीं पत्थरों के बुत बने सब जताते रहे हम काबिल ही नहीं टूट जाता है हौसला भी अंधे बहरों से अड़ते अड़ते ताउम्र रहे कीकर पर बैठे अब भी नहीं कोई देता उतरने ढलने लगी हैं उम्र भी लेकिन दोपहर ठहरी हुई है जीवन मे कड़कती कड़की का कोई नहीं साथी चुपके से कहा अंधेरे ने बबली गुर्जर ©Babli Gurjar कड़कती कड़की
Rajni kant dixit
बिजली कड़की भीगा जग सारा. फसलों में हरियाली गर्मी का हुआ कम पारा.. ©Rajni kant dixit #TodayPoetry #rainyday #hindi_quotes #बिजली कड़की भीगा जग सारा.
कमबख्त_कलम
मेरे आगे से बड़े अरसे बाद गुज़रा तिलांजलि देकर वो ऐसे गया है ; किसी ज़मींदोज़ हो चुके शक़्स को श्रद्धांजलि देकर वो जैसे गया है । ©कमबख्त_कलम तिलांजलि - नज़रन्दाज़ करना #Nojoto #Love #Life #lesson #experience #Sambhav #Shayar
Anamika
अनकही, अनछुई बातें ,यादें .. चुल्लु भर जल अंजुलि में, दे कर आज तिलांजलि.. ली जो मैंने कुछ भी शिक्षा, देने को है सिर्फ यही गुरु दक्षिणा.. करना स्वीकार परमपिता ब्रह्मा.. क्षमायाचना की पात्र नहीं मैं, सूक्ष्म जीव हूं ,नहीं तेरा हिस्सा मैं .. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय(संत कबीर जी ) #क्षमावाणी #मित्र #यादें #गुरूदक्षिणा #परमपिता_पर
MANJEET SINGH THAKRAL
अंध राष्ट्रवाद को राजनीतिक वर्ग ने हथियार बना लिया है और उसके ज़रिए लोगों का ध्रुवीकरण करके प्रतिरोध को ख़त्म किया जा रहा है । इस सामूहिक उन
Rishi K
एक रोज़ हुई बरसात, बिजलियाँ कड़की करने आघात, जल गए सारे जज़्बात, आँख रोई पूरी रात, छुट गया उनका साथ, बंद हुई हमारी मुलाकात, फिर ना हुई उनसे बात, चल दिये वो छोर के हाथ, बरसो बीते हुई फिर से बरसात, एक दिन आई फिर से उन्हे याद, आँखे रोई उनकी इस बार, दिल ने मांगा मेरा प्यार, दूर रहना हुआ दुश्वार, लौट के आई मेरी सर्कार, छोर दिया उसने घर-बार, बन के दुल्हन आई मेरे द्वार, एक रोज़ हुई बरसात एक रोज़ हुई बरसात!! एक रोज़ हुई बरसात, बिजलियाँ कड़की करने आघात, जल गए सारे जज़्बात, आँख रोई पूरी रात, छुट गया उनका साथ, बंद हुई हमारी मुलाकात, फिर ना हुई
Bhupendra Rawat
कहना है कुछ लोगों का कमजोर होती है स्त्रियां क्योंकि,धकेल दिया जाता है शुरू से उसे उस गर्त में जहां पहले से ही बेचारी समझकर समझा दिया जाता है, पाठ ज़िंदगी का तुम्हारी जगह है घर के भीतर की चारदीवारी। कर दी जाती है सीमित उसकी आकांक्षाएं। उन्हीं आकांक्षाओ ने उसे सीखा दिया जीना पिंजरे में। अब उस स्वर्ण जैसे पिंजरे में उसे देनी पड़ती है आहुति अपने सपनों की पराया धन समझकर नम आंखों के साथ कर दी जाती है विदा अपनी इच्छाओं की तिलांजलि दे, पुनः सजाती है, एक ख़्वाब,फूटते हुए अंकुर में समाहित है,दफन हुए ख्वाबों के सच होने की ख्वाईश। पार्ट -1 भूपेंद्र रॉवत 10।01।2021 ©Bhupendra Rawat कहना है कुछ लोगों का कमजोर होती है स्त्रियां क्योंकि,धकेल दिया जाता है शुरू से उसे उस गर्त में जहां पहले से ही बेचारी समझकर समझा दिया
Naresh Chandra
प्रेम हो सबके हृदय मे द्वेष क्लेष न रहे मन मे प्रीत की ज्योति बुझी है मन फंसा है लालसा मे प्रेम की ज्योति जलाकर बस यही उपकार कर दो प्रेम की देवी धरा पर प्रेय की बरसात कर दो। कर मे लिए है पुष्प अपने प्रेम का इजहार करते वासना के हो वशीभूत झूठा ही प्रस्ताव रखते भर दो हृदय मे स्वच्छता इतना सा उपकार कर दो प्रेम की देवी थरा पर प्रेम की बरसात कर दो। अंधकार मे फंसा, मानव सदा दुर्व्यवहार करता प्यार की देकर तिलांजलि नित नये, नये जाल बुनता भाव मन के स्वच्छ हो ऐसा ही तुम वरदान दे दो प्रेम की देवी धरा पर प्रेम की बरसात कर दो। ©Naresh Chandra प्रेम हो सबके हृदय मे द्वेष क्लेष न रहे मन मे प्रीत की ज्योति बुझी है मन फंसा है लालसा मे प्रेम की ज्योति जलाकर बस यही उपकार कर दो प्रेम की
Sacred Heart