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Shalvi Singh
#काव्यार्पण
राकेश मनावत"राज"
कही पीर की मजार तो कहि बालाजी की डेरी। कहि रामदेव जी का स्थान तो कहि मामाजी तेजाजी भोमियाजी के घुड़ले। बिठा रखते थे पुराने जमाने में पेड़ो के
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9 देवियों को अलग-अलग तरह से भोग लगाया जाता है। गौरतलब है 9 देवियां मां दुर्गा के रूप है। नवरात्रि में स्थापना के दौरान विशेष ख्याल रखना होता है। आइए जानते हैं नौ देवियां कौन-सी है और 9 देवी से जुड़े पौराणिक तथ्य नौ देवी : 1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री। 9 पौराणिक तथ्य : 1. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। 2. ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। 3. चंद्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चन्द्र के आकार का तिलक है। 4. उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं इसलिए कूष्मांडा कहलाती हैं। 5. उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं। 6. यज्ञ की अग्नि में भस्म होने के बाद महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। कहते हैं कि कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था इसलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं। इनका एक नाम तुलजा भवानी भी है। 7. मां पार्वती देवी काल अर्थात हर तरह के संकट का नाश करने वाली हैं इसीलिए कालरात्रि कहलाती हैं। 8. माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं। 9. जो भक्त पूर्णत: उन्हीं के प्रति समर्पित रहता है उसे वे हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।  ©KP TAILOR HD 9 देवियों को अलग-अलग तरह से भोग लगाया जाता है। गौरतलब है 9 देवियां मां दुर्गा के रूप है। नवरात्रि में स्थापना के दौरान विशेष ख्याल रखना होता
Vandana
यह जीवन की धारा ले चली है किस ओर, कभी भोर में कभी शाम के शोर में, अपने होने के मुकम्मल निशां ढूंढती हूं मैं, जाने किस ओर चल पड़ी हूं मैं,, अनजानी सी राहें है जहां से उत्पन्न हुई थी, ये जिंदगी,आज वहां आ खड़ी हूं मैं, कभी खूबसूरती के पलों से भीग जाती हूं, कभी रिश्तो के आवेश में घिर जाती हूं, क्या निभा पाऊंगी, तूफानी आवेग से आते जीवन को, या खुद को खो दूंगी यहीं कहीं, खुद का होना मुकम्मल ढूंढती हूं मैं,, दूर कहीं वीराने में पहाड़ियों की ठंडी ठंडी पुरवाई,, नदियों के कल कल करते झरनों में,, हिमालय के शांत से खड़े उन्मुक्त वेग से बहती नदियों म
Satya Prakash Upadhyay
तेरा इंतज़ार जिसके आने से हो जाए एक अद्भुत ऊर्जा का संचार जो कर दे इस विचलित हृदय का क्षण भर में पूरा उपचार भिन्न अवस्थाओं में प्रस्तुत करे वो अपने अनुभव व विचार सही का सत्कार और गलत पर अवश्य करे मेरा प्रतिकार आज भी करता हूँ इंतजार... कभी जो रूठे तो मनाऊँ मैं कर सारे जतन और मनुहार लक्ष्य को पाने निकले तब बन सके एक दूजे का आधार हरदम प्रीत की रीत चले चाहे जीत मीले चाहे हो जाए हार विकट समस्या का निदान करे कर उपयोग बुद्धि की धार आज भी करता हूँ इंतजार... सभी से हो व्यवहार की जैसे प्रेम के सिवा न हो दूजा रोजगार सत्य, प्रेम और करुणा का निशिदिन बस होता हीं रहे विस्तार कोमल हृदय की स्वामिनी वो अपनी प्रतिभाओं को न करे बेकार ऐसी हो प्रियतमा मेरी जो निर्भीक रख सके स्व उर के उद्गार आज भी करता हूँ इंतजार... सभी देवियां प्रतिष्ठित हों उनमें और दर्शन करूँ मैं बारम्बार न जाने आने का उनका कब मिलेगा अनुपम शुभ समाचार जो मिल जाए वो मुझको तब कैसे जता पाऊंगा उनका आभार पग पग साथ मैं दूंगा उनका यह प्रण करता हूँ स्वीकार आज भी करता हूँ इंतजार... तेरा इन्तजार जिसके आने से हो जाए एक अद्भुत ऊर्जा का संचार जो कर दे इस विचलित हृदय का क्षण भर में पूरा उपचार भिन्न अवस्थाओं में प्रस्तुत करे
Sunil itawadiya
महाभारत होना चाहिए रेड द कैप्शन 🥺🥺 👇👇 पाप को अब धोना चाहिए बैठ के न यूँ ही रोना चाहिए लूट रही आज कई द्रौपती एक और महाभारत होना चाहिए साड़ी उतरी थी तब केवल पर क्या क्या न उतर
Prakashvaani پرکاشوانی
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं।