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Nisheeth pandey
शीर्षक-शज़र 🥦🥦🥦🥦🥦🥦 वो बचपन वो निल गगन वो अज़ीम बरामदा मेरा वो अज़ीम शज़र की साख में रस्सी बंधा वो बचपन की चहचहाट वो शाम का लाड़ वो झूलो की मस्ती वो शज़र का दुलार वो ठंडी छाव वो चिड़ियों के बसेरे वो फल फूलों से मँहकना मुहल्ला का मेरे याद जब आए तो दिल हो जाये मुनव्वुर अब यादें बस यादें आखों में ग़म-गुसार वो बरामदा वो शज़र की निशानियां भी मिटे सारे अब वो चंचलता वो खिलखिलाहट वो खुशियाँ रूठे सारे वो शज़र की छांव जैसे माँ की आँचल की छांव अब वो शज़र नहीं लगता यूँ उठ गया मां का प्यार #निशीथ ©Nisheeth pandey #Shajar वो बचपन वो निल गगन वो अज़ीम बरामदा मेरा वो अज़ीम शज़र की साख में रस्सी बंधा वो बचपन की चहचहाट वो शाम का लाड़ वो झूलो की मस्ती वो श
संवेदिता "सायबा"
संवेदिता "सायबा"
तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई। ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।। हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया। न सोए चांद औ सूरज सितारों को न नींद आई।। किनारे बैठे थे जाकर भरा अश्कों का था गागर। समंदर रात भर तड़पा किनारों को नींद आई।। हुआ एक रात को मेरा गुज़र गोर-ए-ग़रीबाँ में। तड़पने पर मेरे आहल-ए-मज़ारों को न नींद आई।। मेरा रोना ए है 'सायबा' जहां पहुंचे वहीं रोए। वहां के रहने वाले जानदारों को न नींद आई।। ©संवेदिता "सायबा" तेरी फ़ुरक़त में तेरे ग़म गुसारों को न नींद आई। ज़माना सो गया पर ग़म के मारो को न नींद आई।। हमारी आह, का नारा फलक से जाके टकराया। न सोए चा
Rishika Srivastava "Rishnit"
अक़ीदत-ए-कल्ब करने वाला ग़म-गुसार चाहिए.. दरमियाँ-ए- गुल मंडराने वाले भवरें तो हज़ार देखें इन फूलों के बीच..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" अक़ीदत-ए-कल्ब = दिल का भरोसा ग़म -गुसार= हमदर्द दरमियाँ-ए-गुल = फूलों के बीच #girl #Rishika #Rishnit #3:40pm
Raj Shekhar Kumar
दोस्त,करो न हमसे किसी त्योहार की बातें किसी घर छोड़ने वाले से घरबार की बातें इस साल की भी छुटियाँ बची है बहुत,पर घरवालों को करना पड़ेगी इंतज़ार की बातें अब बाज़ार में ग़रीब का दिल बैठ जाता है कुछ पूछने पे सुनकर,दुकानदार की बातें ज़िन्दगी में ख़ुशी कि बात कोई सुनना जैसे वीराने में हो सुनना गुलज़ार की बातें सारे रिश्ते तोड़ना चाहता हूँ अब मैं,क्योंकि मुझे और तन्हा करता है,ग़म-गुसार की बातें #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan *ग़म-गुसार:-हमदर्द
purvi Shah
मेरा गम - गुसार हर कदम में मेरा साथ थामे था। फिर कामयाबी ना मिले मुझे,ये सवाल ही गलत था। ग़म-गुसार= हमदर्द #कोराकाग़ज़ #collabwithकोरकाग़ज #writinggyan #wordoftheday #yqdidi
AB
मैं करती रही बेदादे इंतज़ार अपने शम्स-ओ-कमर पर, वो बेहया दिखा गया अपनी सारी शराफ़तें चंद रिवायतों पर !! ग़म-गुसार:- हमदर्द, एतिबार :- भरोसा बेहया:- बेशर्म शम्स -ओ - कमर :- सुबह से शाम रिवायतें :- सुनी सुनाई बातें बेदादे :- बेमिसाल #alpanas
Divyanshu Pathak
कायर और कपूतों की ना अब हमको दरकार रही उठो हमारे वीर सपूतो अब दुष्टों का संहार करो जो घर में छुपकर बैठे अपनी इज्जत लुटती देख रहे डूब मरो चुल्लू भर पानी में या अब कोई अवतार धरो माँ दुर्गा और भवानी रोती भारत माँ की छाती टूटी कब तक तुम निष्प्राण रहोगे अब तरकस में बाण भरो ट्विंकल और दामिनी देखी लक्ष्मी और कामिनी देखी आंखों में खून नहीं लाये तुम कुए में जाकर कूद मरो धरने देकर शमां जलाकर अब वक्त न तुम बर्वाद करो कहदो सरकारों से अपनी या संविधान को ताक धरो उठो धरा के वीर पहरुओं अब कर में तलवार भरो कोई सोचकर देखे कि “ट्विंकल” की मां क्या सोच रही होगी- कि लड़की उसके पेट से पैदा ही क्यों हुई। उसे कौनसे कर्म की सजा मिली है। आज देश में रोजान