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Parasram Arora
White खाई थीं कसम सागर ने कि इक दिन वो रेगिस्तान मे भी फुल खिला दे गा अपनी कसम पूरी करने के लिए भेजा था उसने एक नदी को रेगिस्तानको सीचने के लिए पर वो नदी रेगिस्तान क़ी तपी रेत मे लुप्त हो जायेगी और लौट नही पाएगी ऐसा न उस सागर ने सोचा था न उस बदनसीब नदी ने ©Parasram Arora बदनसीब नदी
बदनसीब नदी
read moreNiranjan Yadav
White 1. मोर का सांस्कृतिक महत्व: प्राचीन भारतीय ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मोर का जिक्र। भगवान कृष्ण के मुकुट पर मोरपंख का महत्व। मोर को देवी सरस्वती और कार्तिकेय से भी जोड़ा जाता है। --- 2. मोर की विशेषताएं: मोर के पंखों में मौजूद इंद्रधनुषी रंग कैसे प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं। नर मोर कैसे नृत्य करके मादा को आकर्षित करता है। मोर की आवाज और उनका जीवनचक्र। --- 3. मोर का ऐतिहासिक महत्व: मौर्य साम्राज्य (चंद्रगुप्त मौर्य) का प्रतीक भी मोर था। 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया। --- 4. मोर और पर्यावरण: मोर पर्यावरण में कैसे योगदान देते हैं। मोर को संरक्षित रखने के लिए भारत में बनाए गए कानून। --- 5. रोचक तथ्य: क्या आप जानते हैं कि मोर विषैले सांपों को भी मार सकता है? मोर के पंखों का उपयोग प्राचीन समय से सजावट और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता रहा है। --- वीडियो में शामिल करने के लिए सुझाव: वीडियो में मोर की क्लिप्स (आप फ्री स्टॉक वीडियो वेबसाइट्स से ले सकते हैं)। एक पृष्ठभूमि संगीत जो भारतीय संस्कृति को दर्शाए। कहानी या तथ्य बताते समय आपका वॉइसओवर। आखिर में दर्शकों से जुड़ने के लिए एक सवाल: “क्या आप जानते हैं कि मोर बारिश के मौसम में क्यों ज्यादा नृत्य करते हैं? अपने जवाब कमेंट में बताएं!” --- टाइटल सुझाव: "मोर: भारत का राष्ट्रीय पक्षी क्यों?" "मोर की रहस्यमय दुनिया | भारत का गौरवशाली पक्षी" "मोर और उसकी कहानियां | जानिए अनसुनी बातें" ©Niranjan Yadav #Thinking "मोर की अनोखी विशेषताएं | क्यों है भारत का राष्ट्रीय पक्षी?"
#Thinking "मोर की अनोखी विशेषताएं | क्यों है भारत का राष्ट्रीय पक्षी?"
read moreShreyansh Gaurav
"नदी का पुराना पुल" कभी तुम गये हो गांव में नदी के किनारे बहुत सुकून मिलता है.! पहले मैं गांव रहता था, दोस्तों का ज़मावड़ा, मज़मा लगता था.! नदी पर पहले इक़ पुल था जो अंग्रेजो के वक़्त का बना है.! गया था मैं गांव कुछ साल पहले देखा अब बदल गया है.! उस पुल के बगल इक़ नया पुल बन गया है, पुराने पे अब सन्नाटा है सुना किसी ने बोला अब यहाँ कोई नहीं आता है.! पूछा क्यूँ कुछ हुआ था क्या इक़ ने कहा भैया, यहाँ कोई मर गया था.! इसलिये अब सब डरते है इधर कोई नहीं आता है.! हमनें देखा बहुत सन्नाटा छाया था जहाँ पहले लोंगो को सुकून मिलता था वही से लोग अब डरने लगे है.! क्या तुम भी लोंगो की तरह बुज़ुर्गो को छोड़कर नये ढूढने लगे हो.! मैं गया वहाँ अकेले ही मुझे कोई डर नहीं फ़िर वही सुकून, मुझे गांव लें गया.! यें "नदी का पुराना पुल " मुझे अब भी याद है, मुझे सुकून सन्नाटा दें गया.!! ©Shreyansh Gaurav #नदी का पुराना पुल #poerty
Parasram Arora
White समुन्दर नदियों को बहला फुसला कर उनके तरल ख़ज़ाने लूटता रहा और वे बदनसीब नदिया अपने वजूद का इंतकाल होते देख आंसू बहाती रहीं ©Parasram Arora समुन्दर और नदी
समुन्दर और नदी
read morevish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White देखों ना तुम्हारे प्रेम ने मुझे कहा ला दिया, ना आगे जा सकती, ना वापस आ सकती. wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #sad_qoute देखो ना?
#sad_qoute देखो ना?
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White हर दिल में छुपा कोई राज़ है न साहिब सबके जीने का अपना अंदाज है न साहिब..! हुकूमतें आई हैं तो जायेंगी भी एक दिन किसके सर रहा हर वक़्त ताज है न साहिब..! अच्छा बुरा वक़्त नहीं इंसान हुआ करते हैं वही तो कल था वही तो आज है न साहिब..! बदल जाना कोई बुरी बात भी तो नहीं सुबह आफ़ताब रात में महताब है न साहिब..! एक की ख़ुशी दूसरे का ग़म ही तो कहा जाये एक को माने तो दूजा नाराज है न साहिब..! इतनी बड़ी ज़िंदगी कहीं तो फिसला होगा इंसानी दामन में कहीं तो दाग़ है न साहिब..! बदलेगी दुनिया और भी जाने क्या होगा किसे फ़िक्र कि अभी तो आगाज है न साहिब..! ग़ुमाँ किस किस का किया जाये हैरत बड़ी है जब ज़िंदगी ही अपनी दगाबाज है न साहिब..! ©अज्ञात #है ना साहिब
#है ना साहिब
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