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Rajkumar pal
White जब शौक के लिए वक्त ना मिले तब समझ लेना जिंदगी शुरू हो गई है..®️ ©Rajkumar pal जब शौक के लिए वक्त ना मिले तब समझ लेना जिंदगी शुरू हो गई है..®️
जब शौक के लिए वक्त ना मिले तब समझ लेना जिंदगी शुरू हो गई है..®️
read moreAanchal Anant
Unsplash बहुत कुछ पढ़ना बाकी है अभी, अभी तो पढ़ना शुरू ही किया है..... ©Aanchal Anant #पढ़ना #शुरू #किया #है #विचार #शब्द #पोस्ट #किताब #बाकी #Nojoto शायरी हिंदी में
Parasram Arora
White तेज़ गति से भागती हुई इस दुनिया के साथ हम भी कदम मिला कर दौड़ते रहे बहुत कोशिश क़ी हमने कि रोके कदमो को ठहर जाने के लिए ©Parasram Arora भागती हुई दुनिया
भागती हुई दुनिया
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
Himanshu Prajapati
White तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब तक..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब
#love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
read moreParasram Arora
green-leaves मुझे लगता हैँ मेरी थकी हुई साँसे कभी भी थम सकती हैँ फिर चाहे तुम कितना भी फूको मेरे प्राणो को सांसे लौट न पाएगी गी फिर से ©Parasram Arora थकी हुई साँसे
थकी हुई साँसे
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read moreF M POETRY
Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है.. कैसे हल होगी ये मालूम नहीं.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....
#ज़िन्दगी उलझी हुई.....
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