Find the Latest Status about वेलकम पर टिप्पणी लिखिए from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वेलकम पर टिप्पणी लिखिए.
Dr Wasim Raja
White तुलसी दास रचित रामचरितमानस की पंक्ति सबको है भाई। हां ''रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई''। मानव है सब, ऊंच- नीच के भेदभाव से होती है जग हंसाई। इंसान है इंसानियत हो,धरा पर सब आपस में है भाई भाई। राम नाम जपना पराया माल अपना अंध भक्तों की भीड़ है छाई। सुख शांति समृद्धि के लिए पूरे विश्व में भारत की हो अगुवाई। अस्त्र-शस्त्र चल रहे सर्वत्र, अब ढाई अक्षर प्रेम की बरसात कीजिए रघुराई। दशरथ पुत्र श्री राम के जन्मदिन,रामनवमी की ससको हार्दिक बधाई।। ©Dr Wasim Raja रामनवमी पर समर्पित
Dr Wasim Raja
White तुलसी दास रचित रामचरितमानस की पंक्ति सबको है भाई। हां ''रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई''। मानव है सब, ऊंच- नीच के भेदभाव से होती है जग हंसाई। इंसान है इंसानियत हो,धरा पर सब आपस में है भाई भाई। राम नाम जपना पराया माल अपना अंध भक्तों की भीड़ है छाई। सुख शांति समृद्धि के लिए पूरे विश्व में भारत की हो अगुवाई। अस्त्र-शस्त्र चल रहे सर्वत्र, अब ढाई अक्षर प्रेम की बरसात कीजिए रघुराई। दशरथ पुत्र श्री राम के जन्मदिन,रामनवमी की ससको हार्दिक बधाई।। ©Dr Wasim Raja रामनवमी पर समर्पित
Kanchan Agrahari
White वाह रे इंसान.. घर में निकला चूहा, दवा डाल मार गिराया। मंदिर में माटी के चूहे को, अपना दुखड़ा बोल आया। बच्चे मांगे खिलौने, मां बाप ने डांट दिया... मंदिर की पेटी में दिल खोल चंदा डाल दिया। नहाकर गंगा में, सब पाप धो आया। वहीं से धोए पापों का पानी भर लाया। माटी की मूरत से अपनी ज़िंदगी की भीख मांग आया... उसी मूरत के सामने जानवर बेजुबान काट आया। ज़िंदगी भर कौवे को अशुभ मानता आया.. फिर मरे मां बाप को कौआ समझ भोजन करा आया। वाह रे इंसान तेरा तरीका मेरी समझ न आया। ©Kanchan Agrahari #SAD Anshu writer sushil dwivedi Munni हा जी वेलकम है @hardik Mahajan
अमित कुमार
White इंसान अगर बांध ना बनाए,वो नदियों के जलधारा को मोड़ेगा कैसे । दूसरों से ज्यादा खुद पर भरोशा हो,और कोई अपना दिल तोड़ेगा कैसे।। ©Amit खुद पर भरोशा
Guddu Alam
उम्मीद पर दुनिया टिकी है और मैं भी टिका हूँ, कहीं शायद मेरा एकतरफ़ा इश्क़ तुमसे दोतरफा हो जाए।" ©Guddu Alam उम्मीद पर दुनिया
Andy Mann
इन सारे झमेलों से मैं वाक़िफ़ हूँ अज़ल से दिखला न मुझे हिज्र की ये कश्फ़-ओ-करामात ये पेड़ तिरी याद से सरसब्ज़ हुआ है झड़ सकते नहीं इस के किसी तौर कभी पात ©Andy Mann #पर तिरी