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#काव्यार्पण
तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं दो बोल जो मीठे बोल दिये तू सर पर मेरे बैठ गया कैसे तूने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। मेरे झुमके के उद्दवेलन से ये पवन सुहानी चलती है एक पल को मैं मुस्काऊं तब ये कच्ची कलियां खिलती हैं जब केश मेरे लहराते हैं तब काली घटा छा जाती है मेरे यौवन से ले सुगंध रति में सुंदरता आती है तू पाप की गठरी जोड़ रहा मैं पुण्य की भागीदारी हूं तूने जब मन को सहलाया मैं उस पल की आभारी हूं तू शहर का शोर शराबा है मैं गांव की कोयल प्यारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 2.तुम वर्तमान की कालिख हो प्रारब्ध की मैं पुरवाई हूं तुम आभासी प्रतिबिंब सदा मैं अंतस की गहराई हूं तुम धूं धूं कर के जलते हो मैं सरिता जैसी बहती हूं तुम टोंका टांकी करते हो मैं पृथ्वी सा सब सहती हूं गर लगे हमारे मुंह तो अब हम दुर्गा ही बन जायेंगे है यू पी पुलिस में धाक बड़ी ऐंटी रोमियो बुलायेगे मैं पति प्राइवेट सेक्टर हूं ना मैं जनहित में जारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 3. ना बातचीत का ढंग तुझे मैं कितनी ही मृदुभाषी हूं तू नॉनस्टॉप-सा म्यूजिक है मैं मौन की बस अभिलाषी हूं है नई नई तेरी दौलत इसलिए तुझे अभिमान हुआ मेरा परिवार सदा से ही संस्कारों से धनवान हुआ है नशा तुझे दौलत का तो ये निश्चय क्षीण हो जायेगा अपनी मृत्यु पर क्या फिर तू पैसे से भीड़ जुटाएगा है ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है गर्व मुझे संस्कारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 4.तुम चाइनीज मोबाईल हो और मैं एप्पल का ब्रांड प्रिये तुम बेशक बादशाह होगे मैं हनी सिंह की फैन प्रिये तुम कपिल की बकबक सुनते हो और मैं बिग बॉस की दर्शक हूं तुम खुद को सलमान समझते हो मैं तुमसे भी आकर्षक हूं हम सीतापुर वाले साहब कट्टाधारी कहलाते हैं यदि बात हमारे प्रेम की हो तो नतमस्तक हो जाते हैं चिंदी चोर चांदनी चौक के तुम मैं नैमिषधाम दुलारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। कवयित्री - प्रज्ञा शुक्ला सीतापुर ©#काव्यार्पण #proposeday #kavyarpan #nojoto #sitapur #HappyRoseDay तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी
Monika jayesh Shah
नवरात्रि की सभी भाईयों बहनों को शुभकामना हर दिन आपका शुभ हो.. माता के गरबे में आप सब झूमे नाचे गाएं.. मां की पूजा अर्चना करे..मां आपके हर दुख को हर ले.. सबको खुशी खुशी मां का प्रसाद मिले... 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 जय नवदुर्गा माता की जय–जयकार हो। शेरो वाली माता की जय –जयकार हो। भक्ति वाली माता की जय– जयकार हो। लक्ष्मी माता की जय –जयकार हो। सरस्वती माता की जय –जयकार हो। काली माता की जय जयकार हो। नवरात्री के नो दिन; नवरात्री नव माता का रूप नवरंग का नया संगम सबके लिए हैं..खुशियों का त्यौहार सब गरबे में मिलते मिलनसार! नो दिन नए कलर नया दिवस हर रंग में होता जगमग नवरात्र! नए नए घाघरे में झूलती नवरात्रन; मदमस्त झब्बे में जरकोटी लगाएं हर व्हाला बाल गुजराती और पुरूष.. झूमते नचाते नाचते बहिन बंधु! वात्सल्य भाव में झूमते हर गुजराती! म्यूजिक की ताल पर थिरकते लहराते हैं! माता के आंगन में जुगनू की तरह जगमगाते! माता का सदेव आर्शीवाद बना रहें! यही नवरात्रि महोत्सव की शुभकामना! Happy navratri ©Monika jayesh Shah #navratri नवरात्रि की सभी भाईयों बहनों को शुभकामना हर दिन आपका शुभ हो.. माता के गरबे में आप सब झूमे नाचे गाएं.. मां की पूजा अर्चना करे..मा
GEET FILM PRODUCTION
Sonal Panwar
सात सुरों की सरगम है संगीत , जो दिल को छू ले वो है संगीत ! कोयल की हर कूक में है संगीत , जीवन की इस धूप में है संगीत , झरने की कलकल में है संगीत , सावन की रिमझिम में है संगीत , बच्चों की किलकारी में है संगीत , बगिया की फुलवारी में है संगीत , हवा की सरसराहट में है संगीत , चिड़ियों की चहचहाहट में है संगीत , पायल की रुनझुन में है संगीत , कंगन की खनखन में है संगीत , जीवन में चारों ओर रचा-बसा है संगीत , मेरे दिल की हर धड़कन में है संगीत ! ©Sonal Panwar सात सुरों की सरगम है संगीत 🎶 #sangeet #संगीत #संगीतकीधुन #संगीतदिवस #म्यूजिक #Music #worldmusicday #hindi_poetry #poem #Nojoto
Bhaiya Yadav ji
DS Haryanvi
Vedantika
अधजल गगरी छलकत जाए उनकी मिठास देखो करें उनसे इश्क़ या अपने दिल की ख़ैर मनाए हम ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_92 👉 अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ – कमगुणी व्यक्ति दिखावा ज़्यादा करता है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइ
Vedantika
अधजल गगरी छलकत जाएं हृदय में प्रेम सुधा जीवन में जब हरि बरसाए कौन कहें अब बात निर्मोही जगत की पीर हृदय की कौन सबको समझाए नयन भरे जैसे हो गागर में सागर विरह की अग्नि कोमल तन जलाए कैसे रोग से हो छुटकारा तब हे प्रभु जब प्रेम रोग ये बढ़ता ही जाए (शेष अनुशीर्षक में) अधजल गगरी छलकत जाएं हृदय में प्रेम सुधा जीवन में जब हरि बरसाए कौन कहें अब बात निर्मोही जगत की पीर हृदय की कौन सबको समझाए नयन भरे जैसे हो गा