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Parasram Arora
White सुन कर किसी बात को. अनसुना कर देना ये तुम्हात्री पुरानी आदत है लेकिन आज तो तुम्हारे दिल ने तुम्हे पुकार कर कोई बात कहनी चाही थीं इसके बावजूद तुम वो पुकार सुनते क्यों नही? ©Parasram Arora सुनी अनसुनी कस्र्णा
सुनी अनसुनी कस्र्णा
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
बंदिशें और ख्वाब दिन कट जाते हैं हंसते-गाते, कटती नहीं हैं ये लंबी रातें। उसके ख्वाबों में जागता रहता हूं, पर साथ देती नहीं हैं सांसें। याद आती हैं उसकी बातें, पर अब धीमी हैं ज़ज़्बातें। मैं बुलाने की कोशिश करता हूं, पर सुनती नहीं वो मेरी बातें। कितना लंबा वक्त गुज़र गया, देखे बिना सूनी हैं ये आंखें। किसी बहाने से ही आ जाओ, तुमसे करनी, तुम सी बातें। कितने दूर चली गई हो तुम, और कब से सुनी मेरी ये बाहें। प्यार न सही, लड़ने ही आओ, तेरे बिना भारी रहती हैं आंखें। नहीं जानता कितना कसूर था, सुकून न सही, देने आओ तकलीफें। सज़ा मुकर्रर करने ही आ जाओ, लेकर आना तुम वक्त सी ज़ंजीरें। क्या पता आज़ाद हो जाऊं, और खत्म हो जाए मेरी बंदिशें। छुपा कर रखूंगा जख्म सारे, तुम लेकर आना अपनी शमशीरें। ©theABHAYSINGH_BIPIN #बंदिशेंऔरख्वाब बंदिशें और ख्वाब दिन कट जाते हैं हंसते-गाते, कटती नहीं हैं ये लंबी रातें। उसके ख्वाबों में जागता रहता हूं, पर साथ देती नहीं
#बंदिशेंऔरख्वाब बंदिशें और ख्वाब दिन कट जाते हैं हंसते-गाते, कटती नहीं हैं ये लंबी रातें। उसके ख्वाबों में जागता रहता हूं, पर साथ देती नहीं
read moreVEER NIRVEL
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_ki_Shayari
read moreShivkumar barman
ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम
बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम
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