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Stories related to london library ebooks 10

Aman

#library remember😈#library

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Unsplash always do something to knw ur best in ur society😈

©Aman #library remember😈#library

Rajesh Kumar

#library

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Unsplash तुम्हें क्या पता है ओहदा मेरे मसीहा का
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तुम्हें क्या पता है ओहदा मेरे मसीहा का?
ये वो शख़्स है जो तेरे नस्लों पे भारी पड़ेगा।

वही सजदा,वही इबादत वही मेरा सब कुछ है,
ये मेरा मज़हब भी है जो सब पे भारी पड़ेगा।

कुरेदेगो राख़ तो चिंगारियां हाथ आएंगी तुम्हें,
ये वो शोला है जो हर आग पर भारी पड़ेगा।

तू जमीं पे होकर आसमां को इस क़दर ना आंक,
उसके हर अल्फाज़ तेरे शोहदों पे भारी पड़ेगा।

तू कहता है सियासत में उनका नाम लिया जाता है,
ये वो नाम है जो तेरे फरिश्तों पे भारी पड़ेगा।

बुझी है राख़ पर उन चिरागों को हवा ना दो,
ये वो जज्बा है जो हर मुल्कों पे भारी पड़ेगा।
""""""""""""''''''""""'''"'"""""""'''""""''""""
-----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-20/12/2024

©Rajesh Kumar #library

Rohit Dubey

#library

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Unsplash दुनिया में सबसे बेहतरीन नज़र वो हैं, 
जो अपनी कमियों को देख रही हैं,,

©Rohit Dubey #library

Hi Sorry

#library

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Unsplash all the best

©Hi Sorry #library

Mr. Eram

#library

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Unsplash آرام سے مان جاؤ
 ورنہ دو تین تہجد کی بات ہے اوپر سے آرڈر آ جائے گا 
پھر تم میرے قبضے میں ہوں گے
😅😂😂















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©Mr. Eram #library

Kirbadh

#library

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Unsplash असमंजस है बहुत
राहें भी कम नहीं
क्या करूँ? किसको चुनु?
किधर को मैं चल पड़ूं
होती उथल-पुथल मन में
आता है तूफ़ान 
भावनाओं की लहरों पर 
होकर सवार
हिलने लगती हैं आस्थाएं
बरबस ही 
कभी-कभी बहुत कठिन होता है
चुन पाना एक राह
प्रज्ञा को भी

©Kirbadh #library

Abdul Rahman M

#london

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SANT HOSH

Unsplash Read a book when you are alone

©SANT HOSH #library #newpost 
#alone_forever 
#library

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#library 10 Dec Time-17:44

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Unsplash ये तुम क्या करती हो ? क्यों करती हो ?
सबका ही दिल जितना होता है तुम्हें और तुम्हारे दिल का क्या ?
जो तुम्हारी जज़्बाती होकर  लिए गए फ़ैसलो से है 
हर बार दुखता 

ये कौन सी दुनिया है तुम्हारी  जो तुमने मन ही मन मे बना लिया 

ये किसके पीछे भाग रही हो तुम ? और रेस में खुद को ही कहा हो छोड़ आई ? 

पत्थर की बनती तो जा रही हो 
पहाड़ों से लड़ते-लड़ते 

और यह हाथ दिखाना अपना जरा 
यह कौन सा पत्थर छुपा रखा है तुमने अपने हाथों में जिससे समय-समय पर तुम 
खुद को ही कुचलती रहती हो 

ठहरो ,
मेजेज़ एक सवाल का जवाब दो
तुम्हें खुद पर क्या दया नहीं आती कब सीखोगी, 
खुद से बेहद प्यार करना 

कब सीखोगी लड़कर जितना अपने आप से
कब सीखोगी अपनी कीमती आंसुओं को व्यर्थ ना बहाना
सारे  फैसला दिल से लेती हो दिमाग क्या भेज खाई है
सारी दुनिया के लिए जीती रहो तुम 
बस तुम्हारी अपनी आत्मा ही तुम्हारे लिए पराई है
अरे कुल्हाड़ी पर जाकर पर मार आती हो कहावत भी कुछ और है पैर पर कुल्हाड़ी मारना
बुद्धि कहीं रखकर भूल आई हो क्या
थोड़ा तो डरो उस परमात्मा से जिन्होंने तुम्हें इतना सजाया हैं संवारा है 
तुम्हारे भाग्य को लिखा है तुम्हारे कर्मों को लिखा है ऊपर वाले लेखक ने 
थोड़ा स्वाभिमानी बनो
खैर , समझ से तुम्हें आना नहीं है अगर समझ आता तो यह लिखने के बाद शायद तुम्हारा मन शांत होता मगर तुम अशांत लड़की
वक्त रहते कहां कुछ सीखने वाली हो!

©katha(कथा ) #library 
10 Dec
Time-17:44
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