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Akash Kumar prjapati
White मेरी मां ने कहा थे बेटा प्रदेश मत जा मैने नहीं मानी तो आज मुझे मेरी मां की बहुत याद आहरही है ©Akash Kumar prjapati #Thinking मां की ममता
#Thinking मां की ममता
read moreSarfraj Alam Shayri
White ज़िंदगी की किताब में सबसे हसीन पेज माँ की मोहब्बत है ! ©Sarfraj Alam Shayri #Thinking ज़िंदगी की किताब में सबसे हसीन पेज माँ की मोहब्बत है ! motivational shayari
#Thinking ज़िंदगी की किताब में सबसे हसीन पेज माँ की मोहब्बत है ! motivational shayari
read moremeri_lekhni_12
White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ, बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ। दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का, हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ। तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ, अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ। राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें, मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ। हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है, शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ। क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का? तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ। अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे, तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ। 'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है, बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ। स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली लेखिका समाज सेविका ©meri_lekhni_12 माँ /मेरी माँ
माँ /मेरी माँ
read moreRJ VAIRAGYA
White आंख अपनी उम्र भर रोती रही रोज दाने खेत में बोती रही, आश के दीपक सदा ढोती रही।। फेर नजरें वक्त है चलता बना, आंख अपनी उम्र भर रोती रही।। हाथ में मद से भरा प्याला लिए, दौलतें मां बाप की सोती रही।। दोस्ती हमसे सभी करते चले, दुश्मनी है मीत गल जोती रही।। थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले, बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।। ©RJ VAIRAGYA #sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma
#sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma
read moreRamji Tiwari
White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #माँ #कविता #ममता Shikha Sharma deepshi bhadauria Sudha Tripathi lumbini shejul Raushni Tripathi
संजय जालिम " आज़मगढी"
तक़दीर मेरी हो, तुम लकीर हाथो की हो, तुम बन्दगी तेरी करू, मैं "जालिम" ईश्वर बाद में पहले हो," माँ " तुम ©Sanjay jalim ## माँ ##
## माँ ##
read moreAnisha Kiratkarve
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आज असा कसा खेळ रंगला माझा माझ्याच मनावर्ती, उगाच भांडते उगाच रुसते, नेमक बोलू कोणावरती... खूप काही आहे बोलण्यासारखे ,पण बोलावेसे वाटत नाही, कठीण होत आहे जगणे,जगता मला येतच नाही..... आज पुन्हा वाटते तीच भीती पुन्हा आवडतोय एकांत प्रेम कसे हे वाढत जाते काय कळेना दोघांत.... ©Anisha Kiratkarve #SunSet मराठी कविता संग्रह मराठी कविता कविता मराठी मैत्री मराठी कविता प्रेमाच्या मराठी कविता संग्रह
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