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Mubarak
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. होली आ रहा है ए दोसत रंगो से नही रंग बदलने वालो से बचके रहना ©Mubarak #holi2025 होली आ रहा है ए दोस्त रंगों से नहीं रंग बदलने वालो से बच के रहना
#holi2025 होली आ रहा है ए दोस्त रंगों से नहीं रंग बदलने वालो से बच के रहना
read moreMohan Sardarshahari
आ रहे नव पल्लव जा रही है खिजां युवाओं के मिलन में बिक रहे हैं पिज्जा ।। रोज डे पर गर्व से तोड़ा एक ग़ुलाब अदब से थमा दिया करीब से देख शबाब। प्रपोज डे के दिन घंटों किया रियाज बोलना था मेरी होज्या पर आड़े आया रिवाज। चोकलेट डे बटोरा थोड़ा सा होंसला थोड़ा हाथ फिसला मौका हाथ से निकला। टेडी डे आते-आते बदली उसकी चाल एक भालू साथ दिखा मेरे लिए बचा मलाल। प्रोमिस डे पर बस खुद से किया वादा भारत में काम का नहीं हरगिज़ यह सौदा। आ रहे नव पल्लव जा रही खिजां युवाओं के साथ मिल बजावां होली का बाजा।। ©Mohan Sardarshahari होली का बाजा
होली का बाजा
read moreHimanshu Prajapati
White अपना छोटापन, कब बड़ापन बन जाता है, पता ही नहीं लगता..! ©Himanshu Prajapati #GoodMorning अपना छोटापन, कब बड़ापन बन जाता है, पता ही नहीं लगता..! #36gyan #hpstrange Aaj Ka Panchang
#GoodMorning अपना छोटापन, कब बड़ापन बन जाता है, पता ही नहीं लगता..! #36gyan #hpstrange Aaj Ka Panchang
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
Himanshu Prajapati
हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! ©Himanshu Prajapati #CloudyNight हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! #36gyan #hpstrange
#CloudyNight हद्द होती है यार किसी चीज की, मैं कब तक लोगों को परेशान करता रहूंगा..! #36gyan #hpstrange
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
read moreSchizology
July 24th 2021 Quiet and still No one is awake Silent and calm A poem I will make A fresh breeze Not very strong Just enough To help me along A fountain Is very near Water flows Clearly I can hear Someone walks Down the street Maybe the same And can't Light a smoke Relax a bit On the bench Is where I sit I could walk To the yard Smoke a joint It's not that far It's so good Legalization East to west Money for the nation Some will grow A few too So much better And safer it's true I prefer A social toke Two good friends Laugh and joke Time to end My poem here Roll a joint And I'll say cheers... ©Schizology July 2021 #2021 #poem✍🧡🧡💛 #memory
July 2021 2021 poem✍🧡🧡💛 #memory
read moreSchizology
I write 2021 I'm sitting outside while I write In a couple hours it will be daylight Rain has been falling overnight Now everything is wet in sight The chill in the air has a bite Cover up in your blankets tight Seeing this weather will not excite But I have a hot coffee to my delight The caffeine gets my brain to ignite In my head I read over and recite Maybe I can give a bit of insight My stomach feels like it's in a dogfight Perhaps its time to tend to my appetite My belly sometimes is not very polite I will end this and I will take flight As for now I will go back inside ©Schizology I write 2021 #write #2021 #poem✍🧡🧡💛
I write 2021 #write 2021 poem✍🧡🧡💛
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
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