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Prabhu Kishore Sharma ( शर्मा जी)
कभी मां के हाथ में कलम और बाप के हाथ में बेलन भी आना चाहिए, इस जमाने को नए नजरिए को भी अपनाना चाहिए । हमेशा क्यों करे लड़कियां ही घर का काम , कभी लड़के को भी रसोई में हाथ बटाना चाहिए । कौन से कानून मे लिखा है कि वो सिर्फ घर संभालेगी , उन्हें भी घर के बाहर अपना हुनर दिखाना चाहिए । जब साथ मिलकर चलेंगे दोनों तभी दुनिया बनेगी ख़ूबसूरत , यही बात समाज को अपनी सोच में बैठाना चाहिए । अगर मानते हो आप लड़के-लड़कियां है बराबर , तो हमारी बातों पर आपको गौर फरमाना चाहिए । -प्रभु किशोर शर्मा (शर्मा जी) #बेलन
dilip khan anpadh
पत्नी बेलन धारिणी ****** साई इतना दीजिये,पत्नी खुश हो जाय । सर भी बेलन से बचे,गाली भी न खाय।। पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़। या तो पत्नी पूज लूं,न हो बेलन बौछार।। अफसर हुए तो क्या हुए, करे सब जी हुजूर। निज पत्नी बौना करे, मार बेलन भरपूर।। राशन,पानी जोड़के, घर तो लियो बनाय। ता घर मे पत्नी रहे,फिर किसको कौन बचाय।। रहिमन निजमन की ब्यथा,मन ही राखो गोय। पत्नी जी जो सुन लियो,बचा सके न कोय।। काजर धीरे होत है,काहे होत अधीर। बेलन जब बरसन लगे, बचा सके न पीर।। कल करे सो आज कर,आज करे सो अब। काम कोई बांकी बचे,बेलन खाओगे कब?।। कनक-कनक ते सौ गुणी, मादकता बौराय। पत्नी के बेलन बिना,बुद्धि क्या हो पाय।। होनहार बिरवान के ,होत चिकने पात। पत्नी संग बक बक करे , तो हो बेलन आघात।। हेलमेट सिर धारण करो, जो रोके प्रहार। कबच कंहुँ मिलत नही,जो रोके बेलन वार।। कर्ण कवच ही चाहिए,बेलन घातक हथियार। बांकी धातु धूर्त हुए, साबित है बेकार।। भूचाल क्षणिक ही आत है,पर सब है मिट जात। बेलन प्रलय ही मानिए, जब हो पत्नी के हाथ।। सांप काटे जहर मिले, पत्नी काटे बेहोशी। सांप पे लाठी चल सकत,पत्नी पे खामोशी।। बेलन को न भूलिए, मैन ग्लानि भर जाय। जो बेलन महिमा गए,कबहुँ न बेलन खाय।। दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़" #WorldEnvironmentDay पत्नी बेलन धारिणी
dilip khan anpadh
पत्नी बेलन धारिणी ****** साई इतना दीजिये,पत्नी खुश हो जाय । सर भी बेलन से बचे,गाली भी न खाय।। पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूं पहाड़। या तो पत्नी पूज लूं,न हो बेलन बौछार।। अफसर हुए तो क्या हुए, करे सब जी हुजूर। निज पत्नी बौना करे, मार बेलन भरपूर।। राशन,पानी जोड़के, घर तो लियो बनाय। ता घर मे पत्नी रहे,फिर किसको कौन बचाय।। रहिमन निजमन की ब्यथा,मन ही राखो गोय। पत्नी जी जो सुन लियो,बचा सके न कोय।। काजर धीरे होत है,काहे होत अधीर। बेलन जब बरसन लगे, बचा सके न पीर।। कल करे सो आज कर,आज करे सो अब। काम कोई बांकी बचे,बेलन खाओगे कब?।। कनक-कनक ते सौ गुणी, मादकता बौराय। पत्नी के बेलन बिना,बुद्धि क्या हो पाय।। होनहार बिरवान के ,होत चिकने पात। पत्नी संग बक बक करे , तो हो बेलन आघात।। हेलमेट सिर धारण करो, जो रोके प्रहार। कबच कंहुँ मिलत नही,जो रोके बेलन वार।। कर्ण कवच ही चाहिए,बेलन घातक हथियार। बांकी धातु धूर्त हुए, साबित है बेकार।। भूचाल क्षणिक ही आत है,पर सब है मिट जात। बेलन प्रलय ही मानिए, जब हो पत्नी के हाथ।। सांप काटे जहर मिले, पत्नी काटे बेहोशी। सांप पे लाठी चल सकत,पत्नी पे खामोशी।। बेलन को न भूलिए, मैन ग्लानि भर जाय। जो बेलन महिमा गए,कबहुँ न बेलन खाय।। दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़" #Art पत्नी बेलन धारिणी