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Anuj Ray
White नहीं मालूम है इस दिल को" मोहब्बत में कहां ले जायेंगी ,ये प्यार की राहें ,नहीं मालूम है इस दिल को। भटकता फिर रहा हूं ,जिसकी खातिर मैं, पता कुछ भी, नहीं मालूम है इस दिल को। झलक देखी थी ख्वाबों में, दीवाना हो गया तब से, कहां ढूंढूं, नहीं मालूम है इस दिल को। ©Anuj Ray नहीं मालूम है इस दिल को"
नहीं मालूम है इस दिल को" #शायरी
read moreRameshkumar Mehra Mehra
जज्बात लिखे तो............... मालूम हुआ..! पढ़े-लिखे लोग भी.... पढ़ना नही जानते.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # जज्बात लिखे तो,मालूम हुआ,पढ़े-लिखे लोग भी,पढ़ना नही जानते....
# जज्बात लिखे तो,मालूम हुआ,पढ़े-लिखे लोग भी,पढ़ना नही जानते.... #Quotes
read morejameel Khan
White जिसकी तस्वीर तुम ता-उम्र निहारते रहे जमील उस से रूबरू होना मुमकिन नहीं इस जहान मे जमील ©jameel Khan # न-मुमकिन #
# न-मुमकिन #
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मेरी दूसरी गजल आज और छपी ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nojoto *खूंरेजीयों की*जद में सियासतों का खेल है समझ में आ गया,ये सब नफरतों का खेल है//१ *मारकाट*चपेट ये मदारी की डुगडुगी के दाँव-पेंचो का
*खूंरेजीयों की*जद में सियासतों का खेल है समझ में आ गया,ये सब नफरतों का खेल है//१ *मारकाट*चपेट ये मदारी की डुगडुगी के दाँव-पेंचो का #Live #Trending #Like #writersofindia #poetsofindia #shamawritesBebaak #election2024
read moreGanesh joshi
White अज्ञातकुलशीलस्य वासो न देयः अर्थ : जिस का कुल और शील मालूम नहीं हो उसके घर नहीं टिकना चाहिए। ©Ganesh joshi #lonely_quotes अज्ञातकुलशीलस्य वासो न देयःअर्थ : जिस का कुल और शील मालूम नहीं हो उसके घर नहीं टिकना चाहिए। #status #quaotes #motivatation #s
#lonely_quotes अज्ञातकुलशीलस्य वासो न देयःअर्थ : जिस का कुल और शील मालूम नहीं हो उसके घर नहीं टिकना चाहिए। #status #quaotes #motivatation s #story #Motivational
read moreMahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे वहाँ कर्मों से गणित मन का होता पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम होता..... वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को... ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर #Life
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