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Neelu Ojha
मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा बोल सत्यम शिवम बोल तू सुन्दरम मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाये जा! #Bhakti
read moreARTI DEVI(Modern Mira Bai)
White बाखबर संत किसे कहते हैं? जो संत सभी धर्मों के पवित्र धर्मग्रंथों का जानकार हो और उस अमर लोक (सतलोक) की महिमा बताए जहां जन्म - मृत्यु नहीं होती, वह बाखबर संत है। "संत रामपाल जी महाराज जी" ही वर्तमान में पूरी पृथ्वी पर एकमात्र बाखबर संत हैं। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI DEVI(Modern Mira Bai) #Emotional_Shayari बाखबर संत किसे कहते हैं? जो संत सभी धर्मों के पवित्र धर्मग्रंथों का जानकार हो और उस अमर लोक (सतलोक) की महिमा बताए जहां ज
#Emotional_Shayari बाखबर संत किसे कहते हैं? जो संत सभी धर्मों के पवित्र धर्मग्रंथों का जानकार हो और उस अमर लोक (सतलोक) की महिमा बताए जहां ज #भक्ति #SaintRampalJi #AlKabir_Islamic
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White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥ (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) {Bolo Ji Radhey Radhey} तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये। सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ। ©N S Yadav GoldMine #mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क
#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क #विचार
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है, परमात्मा का ध्यान, हर वक्त परमात्मा के स्वरूप का ध्यान रखना चाहिये, और चाहे जप भी मत हो, चाहे सत्संग भी मत हो, और चाहे कुछ भी मत हो, परमात्मा का ध्यान रहना चाहिये। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी ©M R Mehata(रानिसीगं ) गुरूवर श्री जयंत सेन महिमा
गुरूवर श्री जयंत सेन महिमा #भक्ति
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Vishnu Bhagwan हे प्रभू तुम्हारे इन चरणों की महिमा न्यारी है ये मानव ही क्या,,,,, श्री जगत जननी भी इन चरणों पर बलिहारी है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #vishnubhagwan हे प्रभू इन चरणों की महिमा न्यारी है ये मानव क्या,,,, श्री जगत जननी भी इन चरणों पर बलिहारी है। #श्रीचरणों #श्रीहरिविष्णु #
#vishnubhagwan हे प्रभू इन चरणों की महिमा न्यारी है ये मानव क्या,,,, श्री जगत जननी भी इन चरणों पर बलिहारी है। #श्रीचरणों #श्रीहरिविष्णु # #nikita
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{Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम, आराधना, चिंतन-ध्यान, आदि का पालन होता रहता है, वही धर्म है, वो ही पुण्य आत्मा है। भगवान श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम