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kavita Shukla
सनातनी होना गर्व होता है ये सेक्युलरिज्म में फंसकर अपना अस्तित्व खत्म करना कहां की समझदारी 🚩🚩 ©kavita Shukla #जय_श्री_राम #कट्टर_हिन्दू_लड़की #ब्राह्मणी
PARBHASH KMUAR
भगवान शिव के क्रोध की कई कहानियां पुराणों में विख्यात है। भगवान शिव के क्रोध के साथ उनके भोलेपन और रक्षक रूप की भी कई कहानियां विख्यात हैं। भगवान शिव का भिक्षुवर्य अवतार, महादेव की आम पहचान से बिल्कुल अलग और परे है। एक समय की बात है, विदर्भ देश के राजा सत्यरथ के देश पर दुश्मनों ने हमला कर, उनकी हत्या कर दी थी। राजा की हत्या के बाद, पूरे देश की प्रजा में हाहाकार मच गया था। उस समय, राजा सत्यरथ की पत्नी गर्भवती थी और वह नहीं चाहती थी, कि वह दुश्मनों के हाथों में आएं। इसलिए अपनी जान बचाने के लिए, वह बिना किसी से मदद लिए, जंगलों की ओर चली गईं और कई दिनों तक वहीं पर छिपी रहीं। कुछ दिनों बाद, राजा की पत्नी ने जंगल में ही एक बच्चे को जन्म दिया। वह बच्चा, सूर्य के प्रकाश जैसा तेज लेकर पैदा हुआ था। बच्चे को जन्म देने के कुछ समय बाद जब रानी को प्यास लगी, तो वह आस पास पानी ढूंढने गईं। तभी उन्हें एक साफ व सुंदर सरोवर दिखा। उन्हें लगा, कि वहां से पानी पीना ठीक रहेगा। लेकिन जैसे ही वह पानी पीने के लिए सरोवर के पास पहुंची और पानी का एक घूंट पिया, तभी पानी में छिप कर बैठे एक ग्रास ने रानी को अपना शिकार बना लिया। इधर, मां की कमी को महसूस कर रहा वह बच्चा ज़ोर से रोने लगा। बच्चे को रोते देख, भगवान शिव को उस पर दया आ गई। उन्होंने माया रचकर एक ब्राह्मणी को उस स्थान पर भेज दिया। उसी दौरान, भगवान शिव ने एक भिक्षु का रूप लिया और उस ब्राह्मणी के सामने आए। भिक्षुवर्य को देख ब्राह्मणी के मन में एक संदेह आया और उन्होंने उनसे पूछा, कि वह इस सुनसान जंगल में कैसे आए और वह बच्चा कौन है, जो इतना रो रहा है? ब्राह्मणी ने भिक्षु से कहा, कि “आपका इतना करुणामय रूप देखकर, आप मुझे भगवान शिव प्रतीत हो रहे हैं। शायद भगवान शिव की माया के कारण ही, मैं रास्ता भटककर इस जंगल में आ गई।” ब्राह्मणी की बातें सुनकर, भगवान शिव ने उन्हें बताया, कि वह बच्चा विदर्भ नगर के राजा सत्यरथ व उनकी पत्नी का है। उन्होंने उसे ये भी बताया, कि किस तरह राजा सत्यरथ और उनकी पत्नी की मृत्यु हुई। ब्राह्मणी को यह सब बताने के बाद, भगवान शिव अपने असली रूप में प्रकट हुए और उन्होंने उस ब्राह्मणी से उस बच्चे का ख्याल रखने की बात कहकर, वह अंतर्धान हो गए। उस दिन से ब्राह्मणी ने अपने पुत्र के साथ-साथ, राजा के पुत्र का भी ख्याल रखा। समय के साथ, ब्राह्मणी के दोनों पुत्र बड़े हो गए और एक दिन जब राजा का पुत्र सरोवर पर नहाने गया, तो उसे वहां एक कलश मिला। उस कलश में बहुत सारा धन और सोना था, जिसे पाकर उनकी गरीबी का अंत हुआ। इतना धन मिलने के बावजूद उन्होंने कभी घमंड नहीं किया और भगवान शिव की अराधना पूरे मन से जारी रखी। कुछ समय बाद, जब राजा का पुत्र जंगल में गया, जहां वह एक गंधर्व कन्या राजकुमारी से आकर्षित हो गया और उसने, उसके साथ विवाह करने का निर्णय लिया। विवाह के पश्चात्, राजकुमार को राज्य मिल गया और ब्राह्मणी राजमाता बन गई। आगे चलकर राजा का पुत्र धर्मगुप्त नाम से प्रसिद्ध हुआ और उसने ब्राह्मणपुत्र को अपना मंत्री रख लिया जिसका नाम आगे चलकर शुचिव्रत हुआ। इस अवतार का मुख्य उद्देश्य यही है, कि भगवान शिव पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति और जीव की रक्षा करते हैं और उनका सदैव ख्याल रखते हैं। भगवान शिव के भिक्षुवर्य अवतार से हमें यह सीख मिलती है, कि न सिर्फ़ भगवान, बल्कि हर व्यक्ति के कई रूप हो सकतें हैं, जिन्हें एक ही बार में परख लेना सही नहीं है। ©parbhashrajbcnegmailcomm भगवान शिव के क्रोध की कई कहानियां पुराणों में विख्यात है। भगवान शिव के क्रोध के साथ उनके भोलेपन और रक्षक रूप की भी कई कहानियां विख्यात हैं।
True path
Divyanshu Pathak
जब तक प्रतिहारों में साहसी-पराक्रमी शासक उत्पन्न होते रहे उनका राज्य विस्तार भी हुआ।शुरुआती दौर में मण्डोर के प्रतिहार- नागभट्ट,शिलुक,बाउक शक्तिशाली रहे।उज्जैन और कन्नौज के प्रतिहारों में भी कई प्रतिभासंपन्न योद्धा हुए।समूचे राजस्थान पर अधिकार कर उन्होंने- गुहिल,राठौड़,चौहान तथा भाटियों को सामन्त बनाकर राज्य किया।जैसे ही इनकी केंद्रीय शक्ति कमज़ोर हुई तो सामन्तों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।जिस राजस्थान की मिट्टी में उनका उदय हुआ,उसी राजस्थान को वे हमेशा के लिए अपना न रख सके। : डॉ गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं कि - जोधपुर के शिलालेखों से यह प्रमाणित होता है कि प्रतिहारों का अधिवासन मारवाड़ में लगभग छठी शताब्दी के द्वित्त
Hasanand Chhatwani
आजकल सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड बहुत तेजी से चल पड़ा है , *~ रावण के बखान ~* वो एक प्रकांड पंडित था ! जी हाँ था ! उस
Anil Siwach
sandy
'महात्मा फुले आणि बळीराजा' बळी राजाची कथा सर्वांना ठाऊक आहे. कारण बालपणापासून आपण ती ऐकत आलो आहेत. तथापि वाढत्या वयाप्रमाणे या