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Ravi Kumar
Unsplash गुलाब जैसी हो...🥀 गुलाब लगती हो...🌹🌹🌹 हल्का सा मुस्कुरा दों ...😊😊😊 तो लाजवाब लगती हो... 👌👌👌 ©Ravi Kumar लाजवाब लगती हो... 👌❤️👌
लाजवाब लगती हो... 👌❤️👌
read moreनवनीत ठाकुर
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे, अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है। कभी जो जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत, अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है। मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में, अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
read moreAshraf Fani
Unsplash एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में, जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्या क्या लगती हो ©Ashraf Fani एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्य
एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्य
read moreVinod Mishra
Himanshu Prajapati
White मोहब्बत करके मुझसे हो गई दूर, मुझे छोड़ कर उसे पसंद किया, उसके साथ उसकी जोड़ी लगती थी जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर..! ©Himanshu Prajapati #sad_quotes मोहब्बत करके मुझसे हो गई दूर, मुझे छोड़ कर उसे पसंद किया, उसके साथ उसकी जोड़ी लगती थी जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर..! #36gya
#sad_quotes मोहब्बत करके मुझसे हो गई दूर, मुझे छोड़ कर उसे पसंद किया, उसके साथ उसकी जोड़ी लगती थी जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर..! 36gya
read moreनवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
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