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Naresh Chandra
बेरोजगारी की समस्या न सुलझी सत्तर सालों मे युवावर्ग अब जाग चुका आयेगा न अब झांसे में इस मुद्दे पर बेवकूफ बनाया कांग्रेसी सरकारों ने खुद से पैदा कर लेगा रोजगार अपने ही देश में। सब्सिडी का प्रलोभन देकर लूटा है खुब देश को जनता को मुफ्त मिलेगा सब झांसा देते देश को किसानों को मिला अभी तक कोरा अश्वासन ही कर्जा माफ करेंगे खुद हमसे ही लेकर पैसों को। देश को पंगु बना रहे सोची समझी चालों से माल्या, नीरव को भी भगा दिया अपने देश से बांड्रा की जमीन का धंधा कैसे है फला फूला गुमराह कर रहे जनता को पोल खुलने केडर से। जय जयकार करते मिलकर अपने दुश्मन देश की भारत तेरे टुकड़े होगे साथ निभाते आतंकी गद्दारों की कैसे देश सौंप दे इनको जिनके मन बेईमानी भरी प्रधानमंत्री को गाली देते हया शरम् सब मर गई इनकी। ✍ लक्ष्मीनरेश ✍ आज के नेताओं का चरित्र चित्रण #दिल_की_आवाज़ #InspireThroughWriting
Parasram Arora
आज का दुशासन अभी भी दोहरा रहा हैँ पौराणिक युग की वीभत्स आदतों को और भंग हो रही हैँ द्रोपदीयो की अस्मिता और आस्था आये दिन जबकि उनकी कातर पुकार नही पहुंच पा रही हैँ कृष्ण के कानो तक l अंधे धरतराष्ट का अंधापन आज भी उतना ही घना हैँ ज़ो पूरे राष्ट्र पर पसरा हुआ हैँ और ये दुर्भाग्य की बात हैँ क़ि आदमी इन सब घटनाओं का मूक दर्शक बन कर खड़ा हुआ हैँ और इसिलए नही रुक पा रहा हैँ ये पाश्विक व्यभिचार ज़ो भविष्य मे जन्म दे सकता हैँ नई त्रासदीयों को ©Parasram Arora आज का दुशासन
NEERAJ SIINGH
प्रेम का चित्रण जो मैं कर पाता वो बिल्कुल तुमसा ही दिख जाता रंग जो भरता मैं तरंग के, इंद्रधनुष सा इठलाता, प्रेम का चित्रण जो मैं लिए चित्र तुझमें उभर जाता प्रेम का चित्रण जो मैं कर पाता वो बिल्कुल तुमसा ही दिख जाता #neerajwrites प्रेम का चित्रण
sukumar punoriar
My dear poem औरत का चरित्र और पुरुष का भाग्य, बदलने में वक्त नही लगता । _सुkumar औरत का चरित्र
Pt. Ashish Dubey
चरित्र को कभी आसानी से और शांति से विकसित नही किया जा सकता। बल्कि मुश्किलों का अनुभव और मुसीबतों को सहकर, साफ़ दृष्टी रखकर, उच्च विचार रखकर और सफलता प्राप्त करके ही इसे हासिल किया जा सकता है। ©Pt. Ashish Dubey # चरित्र का परिचय#
Parasram Arora
Expression Depression आधुनिक दुशासन आज भी दोहरा रहा हैँ अपनी वीभत्स पौराणिक आदत को और भंग हो रही हैँ 'द्रोपदी ' की तथाकथित आस्था और मर्यादा और पहुंचा नहीं. पाती अपनी करुण पुकार कृष्ण के कानो तक उधर अंधे धृष्टराष्ट्र का अंधापन पूरे राष्ट्र पर हैँ पसरा हुआ और कौरवो पांडवो का जमावाड़ा मूक दर्शक हैँ बना हुआ जो रोक नहीं पाता इस पाश्विक व्यभिचार को ये न चुकने वाली पुरातन . व्रति कदाचित दे जाएगी किसी नई त्रासदी के नर्क को l आधुनिक दुशासन