सामने मंज़िल थी और, सामने मंजिल थी और रास्ते मुश्किल
पा सकता है मंजिल गर इंशा हो क़ाबिल
मेराज मेराज
मेराज
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Dr.Meraj Ziyan
वक़्त निकला है जब सामने से मेरे ।
उजाले भी निकले,रह गये अंधेरे ।।
सब निकल गये है बस एक मौत ही पीछे रह गयी ।
हा पता है मुझे बस रब साथ नही है मेरे ।।
मेराज चरथावली मेराज