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Samant Kamal
चाहे पढ़ो पुराण तुम,चाहे पढ़ लो वेद राम नाम में है छिपा,जीवन मरण का भेद ~सामंत कमल (विदित) दोहा चाहे पढ़ो पुराण तुम,चाहे पढ़ लो वेद राम नाम में है छिपा,जीवन मरण का भेद ~सामंत कमल (विदित) #nojoto #poetry #nojotohindi #hindi
Samant Kamal
बाबू साहब उनके है बस, ये तीन मसाइल रोटी कपड़ा घर भी नहीं,जिनकों अब तक हासिल ~सामंत कमल (विदित) बाबू साहब उनके है बस, ये तीन मसाइल रोटी कपड़ा घर भी नहीं,जिनकों अब तक हासिल ~सामंत कमल (विदित) मसाइल-परेशानी #nojoto #poetry #nojotonews #
Samant Kamal
अंत समीप विनाश का,मृत्यु नहीं है दूर माया काम व लोभ में, जो रहता है चूर ~Samant kamal (विदित) दोहा ❣️❣️🙏 अंत समीप विनाश का,मृत्यु नहीं है दूर माया काम व लोभ में, जो रहता है चूर ~विदित #nojoto #nojotohindi #poetry #life
Samant Kamal
मुक़म्मल क्या कहानी है,बिना तेरे बिना तेरे किसे दुनिया बसानी है, बिना तेरे बिना तेरे ~Samant kamal (विदित) ग़ज़ल का मतला ❣️❣️❣️ मुक़म्मल क्या कहानी है,बिना तेरे बिना तेरे किसे दुनिया बसानी है, बिना तेरे बिना तेरे ~सामंत कमल (विदित) #nojoto #nojoto
REETA LAKRA
हिन्दी दिवस हिंदी एक ऐसी भाषा है जो भारत की संपर्क भाषा का दायित्व बखूबी निभा सकती है, हिंदी भाषा का अतीत उज्जवल रहा है, हिंदी भाषा में रचित साहित्य समग्र राष्ट्र एवं उसकी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, देश की अधिकांश जनसंख्या हिन्दी पढ़ लिख बोल और समझ सकती है, देश के अनपढ़ भी इसे समझ तो सकते ही हैं, हिंदी जैसी बोली जाती है वैसे ही लिखी भी जाती है, हिंदी का व्याकरण सरल न सही बहुत जटिल भी नहीं है, हिंदी की देवनागरी लिपि वैज्ञानिक है, हिंदी का साहित्य दीर्घकालीन तथा समृद्ध इतिहास लिए हुए है, भारत की अनेक भाषाओं में से सर्वाधिक सामर्थ्य एवं योग्यता रखती है, फिर भी स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय संविधान द्वारा स्वीकृत नहीं हो पाई है, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। १२४/३६५@२०२२ हिंदी दिवस 2022 पर एक रचना प्रस्तुत कर रही हूँ। हमें विदित है कि राष्ट्रभाषा के अभाव में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्र भावना का सकारात्मक या नि
Manish Rohit Garai
मन !! अनुशीर्षक मे 👇 मन मन !! मन की व्यथा मन ही जाने असमंजस में व्यथित मन मन ही मन पीड़ा है सहते चुप रहते है पीड़ित मन यथार्थ से मन का मन घबराता
AB
.. .. .. .. आप जलंधर असुर संहारा l सुयश तुम्हार विदित संसारा ll त्रिपुरासूर सन युद्ध मचाई l सबहीं कृपा करि लीन बचाई ll
Vikas Sharma Shivaaya'
करमनास जल सुरसरि परई-तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई। उलटा नाम जपत जग जाना-वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना।। कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' करमनास जल सुरसरि परई-तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई। उलटा नाम जपत जग जाना-वाल्मीकि भये ब्रह्मसमाना।। कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यद