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S ANSHUL'यायावर'
घात प्रतिघात, सृजन नाश। प्रकृति के है ये सिद्धांत अविनाश। काल चक्र, का फेरा गहरा, लीलता ये जीवन का पहरा। मनुष्य बंधा इस दुष्चक्र में, पिसता जैसे कोल्हू का बैला। फिर भी नहीं टूट ती उसकी, सुनहरी स्वप्न बेला। नाचता हैं वो, बनके कठपुतला। जीवन उसका मिट्टी का ढेला। ©S ANSHUL'यायावर' ढेला
BRIJESH KUMAR
काश इस करवाचौथ कहता था चाँद जब बेपनाह मुह्होबत थी, दिल के आसमाँ से गिरा दिया जब से नफ़रत हुई... ब्रजेश कुमार करवा चौथ #करवा चौथ #nojoto #Nojotohindi
Kuch Unsuni Si Baatein R@j ki
यूं ना देख की हर शख्स सवाली हो जाए....! तुझे जो देख लू आज की शाम तो मेरी भी दीवाली हो जाए...!! (.....R@j) #करवा चौथ
govind bundelkhandi
नयी आस जगाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वह शादी में कौन सी साड़ी लाए थे वह कार में या घोड़ी पर चढ़कर आए थे कब उनसे टकराव हुआ कब क्या लेकर वह मुझे मनाने आए थे यह याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ याद आ गईं सासू मां सारा दिन संग्राम मचाया था वो और मैं चुपचाप शर्म की चादर ओढ़े बैठे थे मां ने जिद करके उनको बाहर से घर बुलवाया था भूले बिसरे लम्हों की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ यह बूटे वाली साड़ी रिक्कू जब पेट में था तब की है यह पर्पल साड़ी देवर ने दिलवाई थी ये गोटे वाला लहंगा महँगा है यह कहकर तुम टाल गए थे मैं बहू नहीं मैं बेटी थी पापा की पापा ने तुमसे डांट डांट मंगवाई थी सतरंगी रिश्तो की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ छूट्टन की शादी वाली साल तुम मुझसे रूठ गए थे गुस्से में जिज्जी के घर जाकर बैठ गए थे जिज्जी को जब पता चला तो उनके गुस्से के आगे तुम्हारे छक्के छूट गए थे हर संग जरूरी जीवन में यह एहसास कराता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वो तंगी वाले दिन हैं याद मुझे वो सुंदर सी सस्ती साड़ी तुम लाए थे मैं बिफर न जाऊं मैं रूठ न जाऊं देने से पहले तुम कई बार सकुचाए थे कई कई सालों के बाद मुझको तुमसे ये कहना है मैं मुरली तुम अधर हमारे मुझे संग तुम्हारे रहना है भूली बिसरी यादोंको नया रंग चढ़ाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ करवा चौथ
govind bundelkhandi
नयी आस जगाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वह शादी में कौन सी साड़ी लाए थे वह कार में या घोड़ी पर चढ़कर आए थे कब उनसे टकराव हुआ कब क्या लेकर वह मुझे मनाने आए थे यह याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ याद आ गईं सासू मां सारा दिन संग्राम मचाया था वो और मैं चुपचाप शर्म की चादर ओढ़े बैठे थे मां ने जिद करके उनको बाहर से घर बुलवाया था भूले बिसरे लम्हों की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ यह बूटे वाली साड़ी रिक्कू जब पेट में था तब की है यह पर्पल साड़ी देवर ने दिलवाई थी ये गोटे वाला लहंगा महँगा है यह कहकर तुम टाल गए थे मैं बहू नहीं मैं बेटी थी पापा की पापा ने तुमसे डांट डांट मंगवाई थी सतरंगी रिश्तो की याद दिलाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ छूट्टन की शादी वाली साल तुम मुझसे रूठ गए थे गुस्से में जिज्जी के घर जाकर बैठ गए थे जिज्जी को जब पता चला तो उनके गुस्से के आगे तुम्हारे छक्के छूट गए थे हर संग जरूरी जीवन में यह एहसास कराता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ वो तंगी वाले दिन हैं याद मुझे वो सुंदर सी सस्ती साड़ी तुम लाए थे मैं बिफर न जाऊं मैं रूठ न जाऊं देने से पहले तुम कई बार सकुचाए थे कई कई सालों के बाद मुझको तुमसे ये कहना है मैं मुरली तुम अधर हमारे मुझे संग तुम्हारे रहना है भूली बिसरी यादोंको नया रंग चढ़ाता करवा चौथ प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ नयी आस जगाता करवा चौथ प्यार का एहसास कराता करवा चौथ भूखा रहना ही कोई करवा चौथ नहीं प्रेम संबंधों की वर्षगांठ मनाता करवा चौथ करवा चौथ