कुछ यूं निकल गई रात आज फिर से
ख्याल तेरे जो थे दिल में
बात तेरी तारों से कर रहे थे हम हस हस के
वो भी जलते तुमसे निकल गए सवेरे में B-+3+3+
B-+3+3+
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Shabana Nafees
फ़ज़ा हूँ , बहता हूँ कभी तो ठहरता हूँ मैं आज कल
मौसम के मुताबिक़ चलना आ गया है मुझको
आंखों में नमी लिए लब खिल जाते हैं आज कल
शायद लड़खड़ा के संभलना आ गया है मुझको
ज़माने और मुझमें सुलह सी हो गयी है आज कल
तेवर उसके देखके रुख़ बदलना आ गया है मुझको
3/3/22