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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी दिल दिल्ली का जीतने पलक फावड़े बिछा रहे है कुछ दाने डालकर सियासी मछलियां जाल में फ़ँसा रहे है तड़पायेगे पाँच साल जीना मुहाल कर देंगे निबाले होंगे मेहनत के लेकिन टेक्ट पर टेक्ट लगाकर फ्री फ्री का सूद सहित बसूलने लगेगे हाँफती दिल्ली प्रदूषण से गन्दे पानी से लबालब है पसरी गन्दगी गली गली में कूड़े के पहाड़ों आबाद है थमती सांसे रोगो से जिंदगी जीने का ना समाधान है वोटो की फसल काटने,बहकावे के सियासतों के दाँव है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #smog वोटो की फसल काटने,बहकावे के सियासी दाँव है
#smog वोटो की फसल काटने,बहकावे के सियासी दाँव है
read moreAnushka Rathore
Unsplash खेत में गिर गई चाबी हैप्पी न्यू ईयर भाभी 😘😘😚☺️😊😜 ©Anushka Rathore नया साल 2025 की पहली शायरी भाभी के नाम
नया साल 2025 की पहली शायरी भाभी के नाम
read morekuldeepbabra
White स्कूल कितना भी खूबसूरत क्यों ना हो तारीफ उसके खुशबू की की जाती है ©kuldeepbabra फूलों के गुना की खुशबू love shayari
फूलों के गुना की खुशबू love shayari
read moreneelu
White आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं ©neelu #sad_quotes #आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं
#sad_quotes #आपके हां कहने की उत्सुकता के साथ आपको ना कहने की समझने की तैयारी को जीवन कहते हैं
read moreChhaya_33
उसका प्यार पाने के लिए, मैं आखिरी हद तक झुक गई थी मेरी इसी कमजोरी को पकड़ कर उसने मुझे आखिरी हद तक जलील कियर
read moreMansha Sharma
White मिलन 4 पंक्ति में 🍁 मन के भाव 🍁 No_3427 मिलन मिलन को 4 पंक्ति मे किसने है बांधा कभी कभी मिलन मे होती बहुत बाधा ना जाने कितनी मनशा लिए मिलन रहा आधा दोष भी हमे दिया अपने गिरेबान मे ना झांका #स्वरचित_सुरमन_✍️ 12/11/24 ©Mansha Sharma #सांवरे की मनशा #मन के भाव #सुरमन_✍️ #मिलन #nojohindi
#सांवरे की मनशा #मन के भाव सुरमन_✍️ #मिलन #nojohindi
read moreनवनीत ठाकुर
वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है, काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है। दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल, अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल। ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार, आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार। तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम, इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है, नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है। वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ, किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां? पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान, जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान। ©नवनीत ठाकुर #वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा
#वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा
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