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Stories related to केहि मिठो बात गर

Tripurari Pandey

sahi बात

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Unsplash दिल की खुशी और होंठों की हँसी 
अपनों से भी छुपाकर रखिए 
क्योंकि गुलजार ज़िंदगी 
अपनों को भी नागवार लगती है ।

©Tripurari Pandey sahi बात

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash किताबों के साथ - साथ
आंखों को भी पढ़ने का हुनर रखिए ।
क्योंकि चेहरे गुमराह कर सकती है मगर आँखें नहीं ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash आपके जो सबसे दिल के करीब लोग होंगे वो कोई गैर होंगे 
वहीं आपके जो सबसे दिल  के दूर के लोग होंगे वो कोई अपने होंगे ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash जिसके हिस्से में मां होती है 
उसके किस्से में सारा जहां होती है ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

Vk srivastav

गर बिगड़ी बात बनाते हो Life #SAD Shayari #Trending #viral #vksrivastav

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neelu

White अपने आप को मुक्ति दीजिए 
थोड़ी सी चिंता से ...
और किस किस बात से देना चाहते हैं
 आप खुद को मुक्ति

©neelu #love_shayari #बात

Dharmendra Gopatwar

गर वक्त हो..!✍️ हिंदी कविता

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White                                           📕_गर वक्त हो ! ..✍️।                    ✍️_ ध। वि। ग़ोपतवार।🔖

            _गर वक्त हो ..!  2x
     तो दो पल साथ चलकर तो देख ..
     मेरे दिल की गहराइयों में
     शतरंज का खेल तो देख | .  . 
    
           मेरी खामोशी के मंज़र में
       गुमनाम  हू मैं . ,
            तु मुझे दिल के किरदार से 
            ढूंढ़ कर तो देख। . .
                                                    गर वक्त हो . . !  २x।                                                  
                                 ज़बान ए खामोशी ,                       पढ़ कर तो देख । . .        
       
            गगन में उड़ती पंछियां 
      वनों की हरियाली 
       समंदर की खामोशी 
       जरा पढ़कर तो देख । . .
                    शहर की इस भीड़ से दूर
           कई किसी गांव की मिट्ठी की
         महक सूंघ कर तो देख । . .

               बहुत मिला लिए हो हाथ परायों से , . . 2x
            गर वक्त हो ! तुम अपनों से 
            गले लगकर तो देख । . 
नफ़रत भरे इस बाज़ार में 
         कुछ फूल प्यार के बेच कर तो देख । . .
     
            महलों की ठंडक से बाहर 
       कही किसी ग़रीब की कुटिया में 
       कुछ वक्त गुजारकर तो देख । . .
               गुमराहों की इस भीड़ में 
          किसी का हमदर्द , तू बनकर तो देख । . .

        गर वक्त हो  . .  !  आकलन कर लेना . . 2x
       तुम खुद को पाओगे 
       जंजीरों से जखड़कर 
                 उसे तोड़ चैन की सांस 
                तू लेकर तो देख . . ।
      
         पहचान अपनी हस्ती की. . ,
       तुम खुद जान जाओगे ।. .2x
        तु ख़ुदको ढूंढ़ कर तो देख . . 
        गर वक्त हो . . !
           दिल के द्वार किसी अजनबी के लिए खोल कर तो देख । 2x
ए दोस्त ! मुझसे गले मिल कर तो देख . .
गर वक्त हो . . !

©Dharmendra Gopatwar गर वक्त हो..!✍️ हिंदी कविता
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