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Anant Nag Chandan
White ज़िंदगी क्यों माँगे सहूलत लुत्फ़ तो ख़राबे में ही है। अनंत ©Anant Nag Chandan #Thinking ज़िंदगी क्यों माँगे सहूलत लुत्फ़ तो ख़राबे में ही है।
#Thinking ज़िंदगी क्यों माँगे सहूलत लुत्फ़ तो ख़राबे में ही है।
read moreRamnik
White इच्छाएं और सपने तो बहुत है कुछ कर दिखाने के , इरादे क्यों कमजोर पड़ जाते है। पता है ये डर बेमायने है फिर भी क्यों हिम्मत के गले घोटे है। मन कर रहा उड़ने को, पर पांव क्यों जकड़े है। ए मन तू जानता है, ये हालत तेरी कबर है प्रयासों से क्यों नाते तोड़े है। तुझे मालूम है आगे अंधेरे के कितने उजाले है। क्यों करता तू बहाने है.... ©Ramnik #क्यों
Vs Nagerkoti
कई बार कुछ लोग आपकी जिंदगी मैं सिर्फ आपको कुछ सिखाने के लिए ही आते है। और काम खत्म होते ही उसी प्रकार वापस भी लौट जाते है । वो आपकी मर्जी है कि आप समझें ना समझे हर कोई आपकी life मै आपसे जुड़ने के लिए नही आता। ©Vs Nagerkoti reson,,, कोई क्यों आपकी जिंदगी मैं आता है,,
reson,,, कोई क्यों आपकी जिंदगी मैं आता है,,
read moreParasram Arora
White क्यों ठहरा है पानी सागर का और इसकी उछलने वाली वो लहर्रे कहा गई मेरे ख्याल से एक ककड पर्याप्त होगा इस सागर क़ी लहरों को जगाने के लिए नज़रे क्या बदली कि नजारे भी बदल गए लेकिन ये नजारे काफ़ी नहीं है मन को बहलाने के लिए ©Parasram Arora क्यों ठहरा है पानी
क्यों ठहरा है पानी
read moreSumit Kumar
White jinki chaha thi hme. bokisi aor ki amnt. ho gai जिन्हे हमने अपने समझा था अपना गलेका हर सजने को बो कला नाग बन बैठी हमी को ©Sumit Kumar #love_shayari चलती गाड़ी की तरह होती है ए लड़किया कभी भरोसा नहीं करने का
#love_shayari चलती गाड़ी की तरह होती है ए लड़किया कभी भरोसा नहीं करने का
read moreLili Dey
White ख्वाबों में आता है आज कल क्यों तू इतना अब हम दोनों का रास्ता तो बदल चुका है, इश्क को मेरे तू कभी समझा ही नहीं तुझे पाने की तलब थी कितना मुझमें, तुझसे बहत ही दूर हूं अब मैं तो बता तू मेरे ख्वाबों में अब क्यों इतना आता है... ©Lili Dey #क्यों
Parasram Arora
New Year 2025 मेरे आंसू मेरी. खामोशी नजर नहीं आती किसी को क्यों? क्या गुजर रहीं हैँ मुझ पर कोई समझ नहीं रहा हैँ क्यों? ©Parasram Arora क्यों?
क्यों?
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वातावरण दूषित, व्यबस्था मन को कसौटती है आपाधापी मची है जीवन मे खुराक मिलावटी और जहरीली मिलती है खिले है व्यसन के द्वार इनकी लतो से जीडीपी सरकारों की बढ़ती है डिप्रेशन और निराशा के अधीन जीवन जो रोगो को आमंत्रण देती है स्वस्थ रहना अब दूर की कौड़ी हो गया बीमारियों से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
#Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
read moreVinod Mishra