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Maan Singh Suthar
घर आँगन और बाहर की ढ़ेर सारी बाते बहुत अनमोल ख़जाना हैं,मेरे बचपन की बाते सुबह उठ कर जल्दी, शौर मचाना, शौर मचा के,मित्र मण्डली संग खेलने जाना कपड़े के चिथड़ो की वो गेंद,ख़जाने से कम न थी देर तक ,चढ़ी दोपहर तक खेलना फ़िर माँ की डांट और कभी खाना उनकी लाते घर आँगन और बाहर की ढ़ेर सारी बाते बहुत अनमोल ख़जाना हैं,मेरे बचपन की बाते बेफ़िक्री ऐसी की क्या कहने भूख़ लगी हो तो भी खाना ,खाना भूल जाना एक रोटी पर मख़्ख़न लगा के,माँ का मख़्ख़न लगाना ख़ाना खानो को मनाना,और मेरा हाथ छुड़ा भाग जाना घर आँगन और बाहर की ढ़ेर सारी बाते बहुत अनमोल ख़जाना हैं,मेरे बचपन की बाते..... ©M.S. Suthar हैप्पी चिल्ड्रन्स डे.... #ChildrensDay
Tabassum Salmani(TS)❤️
बचपन बचपन था हमारा सीधा सा सादा सा, याद है वो अब भी कुछ थोड़ा कुछ ज़्यादा सा। याद है जब चाहते थी बस बड़ें होने की, लेकिन अब ख्वाइशे जगी है फिर से बचपन को पाने की। सोचा था जब बड़े होंगे आसमान छुएंगे हम, क्या पता था उस मिट्टी में फिर से खेलना चाहेंगे हम। वो बचपन की शरारतें, मुस्कुराहट बनी है आज की। वो बचपन के खेल खिलौने, चाहतें बनी फिर दोबारा आज की। ज़िंदगी के अलग अलग दौर है, लेकिन बचपन सा ना कोई है, चाहें कितने ही बड़े क्यों न हो जाओ, पर बचपन की मासूमियत अभी भी न कही खोई है। ©Tabassum Salmani(TS)❤️ #पोएट्री #Childhood #चिल्ड्रन्सडे #फीलिंग्स
Arun kr.
#HappyChildrensDay कितने अच्छे थे जब हम बच्चे थे अकल के कच्चे मन के सच्चे थे दूर दूर का नाता था सब घर मन को भाता था दोस्तों में कभी बनता नही बिन उसके रहता भी नही शोर शराबे खूब होते थे जब हम छोटे थे शरारते मत पूछो रोज शिकायते घर आते थे सम्हाल लो अपने बच्चे सब कह जाते थे हमे फर्क नही पड़ता इनसे क्योंकि रोज रोज का यही तमाशा था मानो जैसे अपना यही तो नशा था school जाना मानों सजा सा था school न जाने का 100 बहाने आता भी था सच बताऊँ वो पल ख़ुशियों का खजाना ही था। #चिल्ड्रन दे ,##nojoto; सबको अपनी बचपन याद आ जायेगा।
Divyanshu Pathak
"माधुर्य" (जीवन शक्ति) : हमारा शरीर-बुद्धि-मन सब कुछ ध्वनि के स्पन्दनों से निर्मित होता है। जो कुछ हम बोलते हैं,उसमें स्पन्दन होता है, सुर होता है, हमारी भावना होती है। इसी के अनुरूप पार्थिव तत्वों को आकृष्ट करती है। आध्यात्मिक धरातल पर रहने वाले साधक लयपूर्ण, माधुर्य के साथ ; शान्त मुद्रा में बात करते दिखाई पड़ते हैं। एक विशेष रचनाधर्मिता उनकी वाणी से प्रकट होती है। तब वाणी में जीवनदायिनी शक्ति का बोध होता है। आप दूसरों को तथा स्वयं को किन शब्दों से सम्बोघित करते हैं, वे आपके जीवन का निर्माण करते हैं। 😊🍁#good morning 🍁😊 कुछ तो है जो मैं समझने का प्रयास निरंतर करता हूँ और आपलोगों के साथ साझा भी मुझे नही पता आप इसे कितना पसन्द करते हैं पर मै
Unconditiona L💓ve😉
"याद आएंगे" एक दूसरे से बिछड़ने के बाद शायद हम पलटकर भी ना देखे अपनी बातों में एक दूसरे का जिक्र भी ना करे कभी खोलकर भी ना देखे पुराने लिखे खतों को और मन मे बचे प्रेम को झुठला दे लेकिन हम फिर भी एक दूसरे को याद आएंगे जब मेरी बिटिया पहनकर दिखाएगी मुझे झुमके और तेरा बेटा उदासी में तेरे कंधे पर सर झुकायेगा हम तब भी एक दूसरे को याद आएंगे..!! देख लेना तुम, हमारे आँखों में होंगे थोड़ी सी आँसू, तब भी हम दोनों होले से मुस्कुरायेंगे..!! हाँ.. हम तब भी एक दूसरे को याद आएंगे..!! Unconditional #love "💗" __________________________ वो वक्त था जब करोना के कारण सब घर में बंद थे. मेरा भी स्कूल बंद था घर में पढ़ाई करते