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- Arun Aarya
New Year Resolutions विचारों से भरा ये मन , अब हृदय की कहाँ सुनता है। - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #newyearresolutions #विचारों से भरा मन
#newyearresolutions #विचारों से भरा मन
read moreAnamika Raj
Zindagi ने मुझे एक चीज सिखा दी... अपने आप में khush रहना और किसी से कोई उम्मीद ना रखना...!! 💯 ©Anamika Raj किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
read moreNilam Agarwalla
Unsplash मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है। क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है। समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #“मन”
#“मन”
read moreAvinash Jha
White मन है, चाहता है आसमानों को छूना, सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना। जंगलों की खामोशी में छिपा, एक गीत सुनना, या नदी की लहरों संग बह जाना। मन है, जो सपनों की कश्ती में बैठ, दूर कहीं चला जाता है। कभी बूँदों की चुप्पी समझता है, कभी आँधियों से सवाल करता है। मन है, जो छोटे-छोटे सुखों में खुशियों का संसार बुनता है। कभी अकेलेपन में साथी बनता, तो कभी भीड़ में खुद को खोता है। मन है, जो बंद दरवाज़ों को खोलता है, आस की किरणें समेटता है। हर धड़कन में एक कहानी रचता, हर ख्वाब में जीवन रचता। मन, न थमता है, न रुकता है। यह तो बस उड़ान भरता है, आसमानों से परे अपनी ही दुनिया बसाता है। ©Avinash Jha #मन
Matangi Upadhyay( चिंका )
बंधनों के कई रूप होते है सात फेरों का बंधन, सात जन्मों का बंधन, जन्मों जन्मों का बंधन, पर एक बंधन और भी होता है मन से मन का बंधन शायद इस बंधन में कोई अग्नि साक्षी नहीं, हवन नहीं, कोई सात वचन नहीं पर सबसे निकट और सबसे अलग है यह न बांधने की चाहत न छूटने का मन बस ऐसा है यह मन से मन का बंधन! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) मन से मन का बंधन 🤔☺️ #matangiupadhyay #Nojoto #hindi #Life #Love
मन से मन का बंधन 🤔☺️ #matangiupadhyay #Hindi Life #Love
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White मेरे मन की किताब में तुम ही तुम मगर "तुम" तो नही..! पन्ने-पन्ने जिक्र है तुम्हारे रूप रंग स्वभाव का.. भाव का.. जिसके हो सार तुम भार तुम मगर "तुम" तो नही..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #मन
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
कद न अंगुष्ट सा मन बैरी दुष्ट सा नैनों से नीर ले पैरों को पीर दे चर्म चर्म चीर के.. आप में संतुष्ट सा अंग अंग रुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा... करता मनमानी है आफत में प्राणी है.. इसकी ना मानी तो काया को हानी है रोग लगे कुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. अवलम्बित देह का स्वारथ के नेह का प्रेरक प्रमेह का सत्य में संदेह सा छिन छिन में पुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. संगी एकांत का प्यासा देहांत का मृत्यु तक छोड़े ना.. दामन भी तोड़े ना.. उददंड अतुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा.. ©अज्ञात #मन