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Abhay Bhadouriya
तुम्हारे बाद आसमान से चाँद गायब हो गया तारों ने टिमटिमाना बंद कर दिया, मानो क्षितिज पर आकाश ग्रस्त हो गया अवसाद के तिमिर में.... #अवसाद #अवसाद_के_क्षण #तुम्हारेबाद #तुम्हारे_जाने_के_बाद. #abhaybhadouriya
shivani
हमारे सुख के चर्चे चारों दिशाओं में हमारे संघर्ष के किस्से बंद हैं चार दीवारों में ©shivani #अवसाद_कभी_कभी
shivani
खोज रही थी खुशी असीमित बना रहा अवसादी प्रेम... उन्मुक्त मन को बांध गया तो फिर कैसी आज़ादी प्रेम??? मन की तृष्णा मिटी नहीं और आँखे प्यासी प्यासी प्रेम... जीवन ज्योति बना कर सोचा जिसको,गहरी घोर उदासी प्रेम... राग,द्वेष,विश्वासघात क्यों?? जब मन से है सन्यासी प्रेम.... स्वाति नक्षत्र में चातक सा खोज रहा है प्रीत को प्रेम... हार हार कर हर बाजी जीत रहा है जीत को प्रेम... भूल सके न एक एक को कैसा निश्च्छल प्रेमी प्रेम... याद करे न एक एक को ऐसा भी निष्ठुर प्रेमी प्रेम... ©SHIVANI #अवसादी_प्रेम
shivani
वो पीड़ाएं जो आंसू बनकर नहीं बह सकी.... जीवन भर मन पर भारी पड़ीं हैं ©shivani #अवसाद_कभी_कभी
Shivani Singh
प्रश्न किस से शिकायत किस से जिसे प्रेम ही नहीं वो सत्य क्यों बोलेगा??? और जो झूठ ही बोलेगा तो प्रश्न का फायदा क्या?? शिकायत का कायदा क्या??? #अवसाद_यूंही
Parasram Arora
आज शाम आज शाम कमरे क़े उदास और लावारिस कोने मे पडे उस कैनवास पर बने चित्र की रंगिनियत फीकी दिख रही थी और उसके अक्स भी अदृश्य होते दिख रहे थे जब कि रोज सुनाई पड़ने वाला संगीतमय कोलाहल भी सन्नाटों मे परिवर्तित होगया था अंधेरा भी निरंतर पसरता जा रहा है और मुझे नहीं लगता कि वो अंधेरा मुझे विचलित करने मे कभी क़ामयाबी हासिल कर मुझे कभी अवसादग्रस्त कर पायेगा ©Parasram Arora अवसादग्रस्त....
Parasram Arora
ज़ो गीत वास्तव मे मैं लिखना चाहता था वो मैं अभी तक लिख नहीं पाया हूँ हा उस गीत क़े छन्दों की अनुभूति से मैं कई बार. रूबरू हुआ हूं और सोचने लगा हूँ.. काश कभी मैं उन छंदॉ को अपने गीत मे पिरो पाता ये भी सच है कि मेरी इस छिपी हुई अदृश्य पीड़ा को उन छदो ने भी महसूस किया है और आज उन्हॉने मुझे आश्वासत भी कर दिया यह कह कर "हमें तुम अपने भीतर ऐसे ही ज़िंदा रहने दो. गीतकार क्योंकि हम जानते है हमे लिपिबदद कर देने क़े उपरान्त हमारी अनुपस्तिथि मे तुम्हारे अवसाद ग्रस्त हो जाने की पूरी संभावना है ©Parasram Arora अवसादग्रस्त.....
Parasram Arora
#RajasthanDiwas कविमाहराज ये कैसी कविता है? जिसमे न नक्शत्रों का ज़िक्र है न आकाशगंगा का हवाला इतने टिमटिमाते सितारे आसमान मे हैँ वे भी तुम्हे नजर नहीं आये? क्या हुआ उन इंद्रधनुशोका क्यों उन्होंने भी तुम्हारा ध्यान अपनी ओर नहीं खींचा?. ऎसी बेस्वाद कविता को अवसादग्रस्त न कहां जाय तो क्या कहा जाय? ©Parasram Arora अवसादग्रस्त कविता