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Avinash Jain
#ॐ__नमः__शिवाय सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याऽभ्यासेन रक्ष्यते । मृज्यया रक्ष्यते रुपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ॥ धर्म का रक्षण सत्य से, विद्या का अभ्यास से, रुप का सफाई से, और कुल का रक्षण आचरण करने से होता है #ॐ__नमः__शिवाय सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याऽभ्यासेन रक्ष्यते । मृज्यया रक्ष्यते रुपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ॥ #भावार्थः - धर्म का रक्षण सत
Vikas Sharma Shivaaya'
भगवान शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा,विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की है- इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना..., कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयंभू है जिसका अर्थ है कि वह मानव शरीर से पैदा नहीं हुए हैं. जब कुछ नहीं था तो भगवान शिव थे और सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी उनका अस्तित्व रहेगा. भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है जिसका अर्थ हिंदू माइथोलॉजी में सबसे पुराने देव से है. वह देवों में प्रथम हैं..., शिव पुराण में लिखा है कि भगवान शिव स्वयंभू हैं, यानी उनका जन्म अपने आप ही हुआ है। वहीं, विष्णु पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु के माथे से निकलते तेज से शिव की उत्पति हुई थी और उनके नाभि से निकलते हुए कमल से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था...! विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 407 से 418 नाम 407 प्राणः प्राणवायुरूप होकर चेष्टा करने वाले हैं 408 प्राणदः प्रलय के समय प्राणियों के प्राणों का खंडन करते हैं 409 प्रणवः जिन्हे वेद प्रणाम करते हैं 410 पृथुः प्रपंचरूप से विस्तृत हैं 411 हिरण्यगर्भः ब्रह्मा की उत्पत्ति के कारण 412 शत्रुघ्नः देवताओं के शत्रुओं को मारने वाले हैं 413 व्याप्तः सब कार्यों को व्याप्त करने वाले हैं 414 वायुः गंध वाले हैं 415 अधोक्षजः जो कभी अपने स्वरुप से नीचे न हो 416 ऋतुः ऋतु शब्द द्वारा कालरूप से लक्षित होते हहैं 417 सुदर्शनः उनके नेत्र अति सुन्दर हैं 418 कालः सबकी गणना करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा,विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की