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Himanshu Singh
डूबते हुए कब तिनके के सहारे किनारे हुए है #poetryunplugged walone shayari girl shayari wsad shayari on love wsad shayari wshayari status
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान, खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से। सवालों का पिटारा है मेरे दिल में, पर पूछने की इजाजत नहीं उससे। नज़रों से सवाल कर जाती है, अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे। देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है, सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे। कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर, देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे। किस कदर सब्र का चोला पहना, इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से। ©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read moreSatish Kumar Meena
शादी का बंधन पवित्र होता है क्योंकि इसके साक्षी भगवान होते हैं जिनसे कुछ छुपा नहीं है। ©Satish Kumar Meena शादी का बंधन
शादी का बंधन
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
बंधनों के कई रूप होते है सात फेरों का बंधन, सात जन्मों का बंधन, जन्मों जन्मों का बंधन, पर एक बंधन और भी होता है मन से मन का बंधन शायद इस बंधन में कोई अग्नि साक्षी नहीं, हवन नहीं, कोई सात वचन नहीं पर सबसे निकट और सबसे अलग है यह न बांधने की चाहत न छूटने का मन बस ऐसा है यह मन से मन का बंधन! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) मन से मन का बंधन 🤔☺️ #matangiupadhyay #Nojoto #hindi #Life #Love
मन से मन का बंधन 🤔☺️ #matangiupadhyay #Hindi Life #Love
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
read moreseema patidar
White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की जिद थी उसकी उड़ जाने की चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........ ©seema patidar आस की डोर....उम्मीद का बंधन निश्छल,निस्वार्थ .......
आस की डोर....उम्मीद का बंधन निश्छल,निस्वार्थ .......
read moreनवनीत ठाकुर
क्यों ज़िंदगी में ऐसे फ़ैसले कर रखे हैं, क्यों इतने बंधन पाल रखे हैं। इतनी लानतें बर्दाश्त करते हैं हम, जो हमारी इज़्ज़त पर रोज़ हमला करती है। रोज़ जूता मारती है ज़िंदगी मुँह पर, फिर भी हम उसे ख़ामोशी से सहते जाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #क्यों बंधन पाल रखें हैं
#क्यों बंधन पाल रखें हैं
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