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Himanshi chaturvedi
ये अंधेरा हमे सताता है तेरे नाम से बहकाता है कभी घनघोर डराता है,तो कभी बहुत तड़पाता है ये अंतस्मन की पीड़ा का कोई तोड़ नही मिल पता है श्याम नाम की रटना में न जाने कब दिन यूँ ही कट जाता है एक राधा है प्रिय तुम्हारी ओर एक मीरा जोगन हो पायी है मैं भी तो हूं तेरे प्रेम की मारी क्या यूँ ही गोपी कहलायी हूं ओर नयन अभी भी सजल है मेरे तुम्हे ब्रज फिर आना होगा माखन मिश्री का भोज रखा है आकर भोग लगाना होगा जय श्री कृष्ण ©Himanshii chaturvedi सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रजा।। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचा:।। श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे ।। हे नाथ नारायण वासु
Vikas Sharma Shivaaya'
भगवान विष्णु मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ हूं विष्णवे नम: विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 155 से 165 नाम 155 शुचिः स्मरण करने वालों को पवित्र करने वाले 156 ऊर्जितः अत्यंत बलशाली 157 अतीन्द्रः जो बल और ऐश्वर्य में इंद्र से भी आगे हो 158 संग्रहः प्रलय के समय सबका संग्रह करने वाले 159 सर्गः जगत रूप और जगत का कारण 160 धृतात्मा अपने स्वरुप को एक रूप से धारण करने वाले 161 नियमः प्रजा को नियमित करने वाले 162 यमः अन्तः करण में स्थित होकर नियमन करने वाले 163 वेद्यः कल्याण की इच्छा वालों द्वारा जानने योग्य 164 वैद्यः सब विद्याओं के जानने वाले 165 सदायोगी सदा प्रत्यक्ष रूप होने के कारण 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान विष्णु मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन
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गोविन्द दामोदर माधवेति श्रोतम् दामोदर स्तुति करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्, वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि, श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव, जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति, विक्रेतुकामा किल गोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:, दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति, गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्, पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति, सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णो: प्रवदन्ति मर्त्या, ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति, जिव्हे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि, समस्त भक्तार्ति विनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति, सुखावसाने इदमेव सारं दु:खावसाने इदमेव ज्ञेयम्, देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति, श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णुः, जिव्हे पिबस्वा मृतमेतदेव गोविंद दामोदर माधवेति, जिव्हे रसज्ञे मधुर प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि, अवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति, त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते, वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति, श्रीनाथ विश्वेश्वर विश्व मूर्ते श्री देवकी नंदन दैत्य शत्रु , जिव्हे पिबस्वामृतमेतेव गोविंद दामोदर माधवेति , गोपी पते कंसरिपो मुकुंद लक्ष्मी पते केशव वासुदेव जिव्हे पिबस्वामृतमेतेव गोविंद दामोदर माधवेति , ©₹0Hiत दामोदर स्तुति करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्, वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि, श्रीकृष्ण गोविन्द हरे
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
Vikas Sharma Shivaaya'
भगवान श्रीहरि विष्णु के पवित्र मंत्र... 1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। 3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 4. ॐ विष्णवे नम: 5. ॐ हूं विष्णवे नम: 6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। 7. लक्ष्मी विनायक मंत्र - दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।। 8. धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र - ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। 9. सरल मंत्र - ॐ अं वासुदेवाय नम: - ॐ आं संकर्षणाय नम: - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम: - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम: - ॐ नारायणाय नम: 10. विष्णु के पंचरूप मंत्र - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 233 से 243 नाम 233 वह्निः हविका वहन करने वाले हैं 234 अनिलः अनादि 235 धरणीधरः वराहरूप से पृथ्वी को धारण करने वाले हैं 236 सुप्रसादः जिनकी कृपा अति सुन्दर है 237 प्रसन्नात्मा जिनका अन्तः करण रज और तम से दूषित नहीं है 238 विश्वधृक् विश्व को धारण करने वाले हैं 239 विश्वभुक् विश्व का पालन करने वाले हैं 240 विभुः हिरण्यगर्भादिरूप से विविध होते हैं 241 सत्कर्ता सत्कार करते अर्थात पूजते हैं 242 सत्कृतः पूजितों से भी पूजित 243 साधुः साध्यमात्र के साधक हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान श्रीहरि विष्णु के पवित्र मंत्र... 1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। 3. ॐ नाराय
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kp ascendant predictive occult ©KP TAILOR HD यहां पढ़ें खास जानकारी एक साथ- भगवान विष्णु के शुभ मंत्र-Vishnu Mantra देव प्रबोधन मंत्र- ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन
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