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Pankaj
✍️ 🙏 ✌️शरद महारास की रात में शरद पूर्णिमा का चांद मानो जीवन का हो यह सम्पूर्ण 👍पुण्यधाम💐 🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏 -पंकज #better #शरतचांद
fateh singh sodha
।। हम संघर्ष में जीने के आदी हैं।। पिछले कई सालों से जैसलमेर की टॉप रैंक पर रहने वाला स्कूल माउंटेंसरी बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल जैसलमेर पिछले 3 वर्षों मैरिट सरताज जैसलमेर 1ः रिछपाल सिंह भाटी हमीरा(2020) = 92.60% 2 : फतेह सिंह सोढा म्याजलार(2021) = 100% 3 : रायना कुमारी जैसलमेर(2022) = 95.80 श्रेयस्कर = शालिनी महेचा एंड उनकी टीम ©fateh singh sodha मैरिट शरताज
कवि राहुल पाल 🔵
POONAM SINGH
Lotus Mali
ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.... https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.
Lotus Mali
ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.... https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.
Ravindra Raaj
#ग़ज़ल सर्द मौसम है कोई जाम उठाया जाये ।। होठ खाली हैं इन्हैं काम लगाया जाये ।। बदनजर जो भी उठाये किसी मासूम पे तो । ऐसे हर शख्स को जिन्दा
Sunita D Prasad
#काँधे से अधरों तक..... समग्र की अभिलाषा में बहुत कुछ मध्य में ही छूट गया जबकि न प्रारब्ध वश में है और न ही अंत! अचंभित होती हूँ इच्छाओं की हठधर्मिता पर कि कैसे अपने अवसान पर क्षीण होने की बजाय उग्र हो उठती हैं उस समय शरतचंद्र जी के देवदास का चरित्र भुवन मोहन चौधरी मुझे देख मुस्करा देता है। देह की देहरी लाँघ मन चार भिन्न दिशाओं में बँटा! सुनो, बिल्कुल कठिन नहीं था तुम्हारे काँधे से अधरों तक का सफर बस कुल जमा चार दिशाओं का असमंजस भर ही तो लगा!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #काँधे से अधरों तक..... समग्र की अभिलाषा में बहुत कुछ मध्य में ही छूट गया जबकि न प्रारब्ध वश में है और न ही अंत! अचंभित होती हूँ इच्छाओं क
CalmKazi
पकवान शरत का थाल फलक पर था, माँ ने भी कुछ अनोखा किया । पकवान कटोरी का, भरा बाल्टी में, बाहर खुले में टांग दिया ।। मैंने पूछा, "ये क्या करते हो ? इसको तो थाल से ढँक, अंदर रख आते हैं"। माँ बोली, "बेटा कभी कभी मामा से बाँट कर, अच्छे बच्चे खीर खाते हैं" ।। #moonmemory challenge by Galaxi Chakma #moon #childhood. Hope this counts. Click on #WaqtKiDosti for more I always reminisce those obscure
Vaibhav Raj Singh
जीवन में आती हैं परेशानियाँ हजार फिर भी कहानी चलती रहती है हर कोई नहीं होता यूं तो दिलदार फिर भी कहानी चलती रहती है हम सोंचते हैं अपने चाहने वालों से घिरे हुए हैं हम मगर सच में चाहने वाले होते हैं सिर्फ दो-चार फिर भी कहानी चलती रहती है जीवन एक अटूट धारा है। मानव जीवन की कहानी भी एक अटूट धारे के समान है। हर तरह की रुकावटों के बावजूद यह कहानी सतत चलती रहती है। Collab करें Y