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Manoj Nigam Mastana

ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी। सच्चिदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।। नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा का द्वितीय रूप ब्रह #navratri #समाज #जय_माता_दी #navratri2023

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ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चिदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।

नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा का द्वितीय रूप #ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम में वृद्धि होती है। इस रूप में माँ तपस्विनी स्वरूपा हैं। माँ ब्रह्मचारिणी से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना है।

#जय_माता_दी #navratri2023

©Manoj Nigam Mastana ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चिदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।

नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा का द्वितीय रूप #ब्रह

Divyanshu Pathak

आप सभी को मेरी ओर से सुप्रभात😊☕💕☕☕💕 : नागरिकता से जुड़े सभी कानूनों को इसी संदर्भ में देखा जाता है। इतिहास के सभी युद्ध इसी संप्रभुता की रक #अलविदा #पंछी #पाठक #हरे

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प्रत्येक राष्ट्र
अपनी अखण्डता,
सम्प्रभुता के लिए
कटिबद्ध होता है।
अपने नागरिकों की
पवित्रता और सुरक्षा के लिए
संकल्पित होता है।
जब-जब
इस अखण्डता पर
आक्रमण होता है,
सम्पूर्ण देश एक हो जाता है। आप सभी को मेरी ओर से #सुप्रभात😊☕💕☕☕💕
:
नागरिकता से
जुड़े सभी कानूनों को
इसी संदर्भ में देखा जाता है।
इतिहास के सभी युद्ध
इसी संप्रभुता की
रक

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !! अर्थात-: हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की उत् #yqbaba #yqdidi #shreekrishna #yourquotebaba #janmashtami #yourquotedidi #vs❤❤

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अर्थात-:
हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की उत्पत्ति के 
कारण! हे दैहिक, दैविक और भौतिक तीनो 
तापों का विनाश करने वाले महाप्रभु! हे श्रीकृष्ण! 
आपको कोटि कोटि नमन. हे लीलाधर! 
हे मुरलीधर! ...संसार आपकी लीलामात्र 
का प्रतिबिंब है. हे योगेश्वर!आप अनन्त ऐश्वर्य, 
अनन्त बल, अनन्त यश, अनन्त श्री 
के स्वामी हैं लेकिन इसके साथ साथ 
आप अनंत ज्ञान और अनंत वैराग्य के 
भी दाता हैं. हे योगिराज कृष्ण! आपके 
महान गीता ज्ञान का आलोक आज तक 
हमारा पथप्रदर्शक है लेकिन हम मर्त्य 
प्राणी आपके इस अपार सामर्थ्य को 
भूलकर उस माया में डूबे हुए हैं जो हमें 
आपके वास्तविक स्वरुप का भान नहीं होने देती है. हे अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी! इस बार जन्माष्टमी पर हम भक्तजन आपके योद्धा कृष्ण, नीतीज्ञ केशव, योगिराज माधव स्वरुप की शपथ लेते हैं, कि हम सदैव आपके चरणकमलों का अनुगमन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलेंगे...
                         🏵🏵🙏जय जय श्री कृष्णा🙏🏵🏵
__Vibhor vashishtha Vs
 Meri Diary #Vs❤❤
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! 
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !!
अर्थात-:
हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की 
उत्

Vikas Sharma Shivaaya'

शनि गायत्री मंत्र: .-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् || -ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच #समाज

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शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रचोदयात ||

-ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात ||

सुंदरकांड:   दोहा – 1

प्रभु राम का कार्य पूरा किये बिना विश्राम नही
हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥
हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छुआ,
फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की –
रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहाँ? ॥1॥
श्री राम का कार्य जब तक पूरा न कर लूँ,
तब तक मुझे आराम कहाँ?
श्री राम, जय राम, जय जय राम

सुरसा का प्रसंग
देवताओं ने नागमाता सुरसा को भेजा
जात पवनसुत देवन्ह देखा।
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥1॥
देवताओ ने पवनपुत्र हनुमान् जी को जाते हुए देखा और
उनके बल और बुद्धि के वैभव को जानने के लिए॥
देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा।
उस नागमाताने आकर हनुमानजी से यह बात कही॥

सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।
सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं।
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥2॥
आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया।
यह बात सुन, हँस कर हनुमानजी बोले॥
मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊँ और
सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥

हनुमानजी ने सुरसा को समझाया कि वह उनको नहीं खा सकती
तब तव बदन पैठिहउँ आई।
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥3॥
फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा।
अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा।
मै तुझे सत्य कहता हूँ॥
जब सुरसा ने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया,
तब हनुमानजी ने कहा कि,
तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥

सुरसा ने कई योजन मुंह फैलाया, तो हनुमानजी ने भी शरीर फैलाया
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥4॥
सुरसाने अपना मुंह, एक योजनभरमें (चार कोस मे) फैलाया।
हनुमानजी ने अपना शरीर, उससे दूना यानी दो योजन विस्तारवाला किया॥
सुरसा ने अपना मुँह सोलह (16) योजनमें फैलाया।
हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (32) योजन बड़ा किया॥

सुरसा ने मुंह सौ योजन फैलाया, तो हनुमानजी ने छोटा सा रूप धारण किया
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥5॥
सुरसा ने जैसे-जैसे मुख का विस्तार बढ़ाया, जैसा जैसा मुंह फैलाया,
हनुमानजी ने वैसे ही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥
जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया,
तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर लिया॥

सुरसा को हनुमानजी की शक्ति का पता चला
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥6॥
छोटा स्वरुप धारण कर हनुमानजी,
सुरसाके मुंहमें घुसकर तुरन्त बाहर निकल आए।
फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥

उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की –
हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था,
वह तुम्हारे बल और बुद्धि का भेद, मैंने अच्छी तरह पा लिया है॥

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनि गायत्री मंत्र:
.-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||

-ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच
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