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ragini sharma
हृदय हिलोरें ले रहा,धड़कन उठते ज्वार । साँसे विरहन हो गयीं, पिय को रहीं पुकार ।
Bharat Bhushan pathak
तुम्हारे प्रेम के कारण,रूह यह चैन पाता है। हृदय आनंद सागर में,हिलोरें खूब खाता है।। ©Bharat Bhushan pathak #CrescentMoon तुम्हारे प्रेम के कारण,रूह यह चैन पाता है। हृदय आनंद सागर में,हिलोरें खूब खाता है।।
Rajkumar Prasbi
इश्क की कस्ती में सवार चल रहा मुशाफिर है। हिलोरे खाकर परंपराओं से भी लड़ता जाता है। ये इश्क भी न क्या क्या करवाता है। ©Rajkumar Prasbi इश्क की कस्ती में सवार चल रहा मुशाफिर है। हिलोरे खाकर परंपराओं से भी लड़ता जाता है। ये इश्क भी न क्या क्या करवाता है। #RKPrasbi
i am Voiceofdehati
कौन है वो जो शांत खड़ा है नदी के किनारे पर बिना किसी भय के गिन रहा नदी में हिलोरे शायद उसका अंतर मन भी हिलोरे मार रहा बेचैन हो जाता कभी कभी लेकिन रखता खुद को नियंत्रित हाथों से आंसुओं को पोंछ कर खो जाता कहीं जैसे दुनिया विरान हो या हो एकदम नयी उसकी ये बाहरी शांति अंदर से कोलाहल मचा रही है मुरझाए होंठों की लालिमा हृदय को चीरे जा रही है... कौन है वो जो शांत खड़ा है नदी के किनारे पर बिना किसी भय के गिन रहा नदी में हिलोरे शायद उसका अंतर मन भी हिलोरे मार रहा बेचैन हो जाता कभी कभी
Ashutosh Mishra
मन के सागर में भावनाएं हिलोरें लेती है,,,,,,,,,,,, जो ना कह पाया लफ़्ज़ों में वो लिखने को जी करता है। जब मैं आया इस परिवार में था मैं बिल्कुल अंजान, सब लोगों में घुलना-मिलना ना था मेरे लिए आसान। कभी लिखा नहीं था मैंने अपने अनकहे जज़्बात। शायद कभी मौका नहीं या खुद को जाना ही नहीं। या डरता था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लोग क्या कहेंगे, मां की ममता,,पिता का प्यार, बहना तुझसे पाया मैंने। बनी प्रेरणा तुम मेरी मुझमें विश्वास जगाया,,,,,,,। कर सकता हूं,,लिख सकता हूं, मै भी अपने जज्बात। फिर टूटे सपने, अधूरे किस्से और कान्हा का प्यार, एक एक कर लिखने लगा मैं अपने अनकहे अल्फ़ाज़। आज मुझे पता नहीं क्या लिखता हूं कैसा दिखता हूं, पर हां,,,जो भी लिखता हूं, मिलता है हर क्षण ढेरों प्यार। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #अनकहेअल्फ़ाज़ म के सागर में भावनाएं हिलोरें लेती है। जो कह ना पाया लफ़्ज़ों में वो लिखने का मन करता है। #NojotoTrending #nojotopoetry #noj
Ganesh Singh Jadaun
इस जीवन के महासिंधु में प्रतिपल आगे बढ़ना है दूर किनारा सागर का, फिर भी बढ़ते रहना है कभी हिलोरें मौजें देंगी, कभी ये तौलेंगी हिम्मत कश्ती पे भरोसा क्या करना, मांझी पे भरोसा करना है ____©®गणेश सिंह जादौन 25.12.18 इस जीवन के महासिंधु में प्रतिपल आगे बढ़ना है दूर किनारा सागर का, फिर भी बढ़ते रहना है कभी हिलोरें मौजें देंगी, कभी ये तौलेंगी हिम्मत #कश्त
Monika jayesh Shah
अपना जीवन एक नाव की तरह हैं ! कभी लहरों की तरह हिलोरे मारती; कभी झिलमिलाती कभी डगमगाती; कभी उफान पर आकर कश्ती थम जाती! कभी सूरज की रोशनी में चमचम सोने की तरह चमकती दमकती! कभी रात में शीतल चांदनी की तरह. शीत बन दिल को सुकून देती! ©Monika Shah अपना जीवन एक नाव की तरह हैं ! कभी लहरों की तरह हिलोरे मारती; कभी झिलमिलाती कभी डगमगाती; कभी उफान पर आकर कश्ती थम जाती! कभी सूरज की रोशनी मे
||स्वयं लेखन||
मेरे भोले का प्यारा है, सावन जो ये आया है बहुत निराला है, जहां गगन एक ओर बिजली की तान छेड़ रहा है, होके मगन वहीं धरती भी हरे रंग की चूनर ओढ़े झूम रही है, कहीं कल - कल बहती नदियां हिलोरें लेती गीत कोई गा रही। मेरे भोले का प्यारा है, सावन जो ये आया है बहुत निराला है, जहां गगन एक ओर बिजली की तान छेड़ रहा है,
HINDI SAHITYA SAGAR
"कुछ खुशियाँ" नीला आसमान, हरी-भरी वादियाँ, बर्फ की चादर ओढ़े, शांत पर्वत की चोटियाँ, निर्मल जल युक्त, इठलाती अविरल, करती कल-कल, नन्हीं-नन्हीं सी नदियाँ। और तुम, बस और बस, केवल तुम... इठलाती, बलखाती, हिलोरे मारती, उज्ज्वल, निर्मल, मन सी-नदियाँ। अन्तस अभिसिंचित, अधरों पर बहती, कविता सी, खुशियाँ... ©HINDI SAHITYA SAGAR "कुछ खुशियाँ" नीला आसमान, हरी-भरी वादियाँ, बर्फ की चादर ओढ़े, शांत पर्वत की चोटियाँ, निर्मल जल युक्त,
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