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विवेक कुमार सिंह
रत्नगर्भा धरती है जहाँ की, खनिजों के जहाँ प्रचूर भंडार। दुनिया भर में जाने जाते, भारत के समुन्नत पठार । वहीं किसी खदान के समीप, बोल कहीं तेरा घर है ? बोल कहाँ तेरा घर है ? बोल कहाँ तेरा घर है ? Part III- The Southern Plateus (दक्षिणी पठार) #VKS
Pradeep Shukla
रेत पे नाम लिखने से क्या फायदा । इक आई लहर कुछ बचेगा नहीं ॥ हमने पठार का दिल तुझको कह तो दिया। पत्थरो peलिखोगे मिटेगा नहीं ॥
अल्पेश सोलकर
तुझी हनुवटी ते कपाळ असा माझा प्रवास होता... तुझ्या ओठांवर ओठ ठेवून मला तंबू बांधायचा होता.. तुझ्या गालांसारख्या पठारावर खळी शोधण्याचा बेत होता.. तुझी हनुवटी ते कपाळ असा माझा प्रवास होता... तुझी हनुवटी ते कपाळ असा माझा प्रवास होता... तुझ्या ओठांवर ओठ ठेवून मला तंबू बांधायचा होता.. तुझ्या गालांसारख्या पठारावर खळी शोधण्याचा बेत ह
KP EDUCATION HD
KP GK SAGAR GK questions in Hindi video short ©KP STORY CREATOR 📕भारत के पर्वत, पहाड़ियाँ व राज्य 🔳कराकोरम, कैलाश श्रेणी – भारत एवं चीन 🔳लद्दाख श्रेणी – भारत (जम्मू कश्मीर) 🔳जास्कर श्रेणी – जम्मू कश्मी
Rakesh frnds4ever
दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है गंतव्य पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,, कभी कन्द्राओ से कभी रेगिस्तानों से,, पर्वत पठारों से, घाटी मैदानों से शहर ओर गावों से , सभी जगहों से गुजरती हुई जब सरपट दौड़ती है तो ,, एक मधुर संगीत में कानों को घर के एहसास का सुकून देती जाति है,,..... ©Rakesh frnds4ever #Train #दूर दूर तक ले जाते हुए भी कितनी पास रहती है #गंतव्य पर पहुंचा ही देने की आस रहती है,, कभी #कन्द्राओ से कभी #रेगिस्तानों से,, #पर्
Anshu kushvaha ji
yogesh atmaram ambawale
तुझ्या सौंदर्याची तारीफ करायला काही शब्दच मिळेना, सुंदर,अतिसुंदर पेक्षा ही सुंदर कुठला शब्द वापरावा हेच कळेना. सुंदरच नव्हे तर सौंदर्याची खाण आहेस तू, सुंदर शब्दाला सुद्धा हेवा वाटावा इतकी छान दिसतेस तू. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आज आपण अनुप्रास अलंकार शिकणार आहोत. अनुप्रास:- एखाद्या वाक्यात किंवा कवितेच्या चरणात एकाच अक्षराची पुन
Sunita D Prasad
मैं नदी, तुम हो सागर, मैं मीठा पानी, तुम खारा जल, मैं धारा बन- बहती आती, और तुम बन लहर- बढ़ते आते, मेरा प्रवाह , मेरी व्याकुलता दर्शाता, लाँघ कर तभी न वो, सगरे पर्वत पठार आता,. और तब होता है पूर्ण, और तुम भी तो, ध्येय..मेरे जीवन का, सदा बाँहें खोले, जब मैं ले लेती हूँ समाधि, रहते हो आतुर, तुम्हारी विस्तृत जलराशि में, मुझे अपनाने को, हाँ, यही तो..... तभी जब मैं , होता है न वो संगम, कमतर पानी में, जहाँ मैं का तुम में... गिनती हूँ आखिरी साँसें, होता है, अपने मुहाने पे, संपूर्ण एकाकार....।। तुम बढ़कर मुझको, हो गले लगा लेते, 💐सुनीता डी प्रसाद💐 # yqpowrim #yqdi #mein nadi,tum sagar मैं नदी, तुम हो सागर । मैं मीठा पानी, तुम खारा जल ।
Deepak Kanoujia
ये दरस ऐसा प्रेम की चार अवस्थाओं जैसा... ये दरस ऐसा प्रेम की चार अवस्थाओं जैसा... ज़मीं पर गिरे-पड़े टूटे पत्थरों जैसा था मैं तुम्हें दूर से तकते हुए... तुम मिली