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Stories related to शाहनामा किसकी रचना

Nitu Singh जज़्बातदिलके

पर्दे में कहां पता चलता है किसकी कैसी है फितरत आंखों से जो वार करें वो हुस्न के जाल में फंस जाते है @Nitu Singh जज़्बातदिलके @singhnit

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White पर्दे में कहां पता चलता है 
किसकी कैसी है फितरत 
आंखों से जो वार करें 
वो हुस्न के जाल में फंस जाते है

©Nitu Singh जज़्बातदिलके पर्दे में कहां पता चलता है 
किसकी कैसी है फितरत 
आंखों से जो वार करें 
वो हुस्न के जाल में फंस जाते है 

@Nitu Singh जज़्बातदिलके 
@singhnit

dilkibaatwithamit

सुनो___❤️ लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो जहाँ स्वयं

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सुनो___❤️
लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, 
मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु 
तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो 
जहाँ स्वयं ईश्वर का वास है।
तुम्हारे लिए मेरा प्रेम सांसारिक नहीं आत्मिक है। 
इस प्रेम की अनुभूति नैसर्गिक है, अलौकिक है, अद्भुत है।मेरा ये प्रेम पवित्र है, बिल्कुल तुम्हारी आत्मिक मुस्कान की तरह..!!

©dilkibaatwithamit सुनो___❤️
लिखने को तो तुम्हारे प्रेम में, 
मैं सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना कर डालूँ परन्तु 
तुम मेरे हृदय में उस स्थान पर विराजती हो 
जहाँ स्वयं

amansingh6295

किसकी बातें लेकर आ गए हो लगता है तुम भी पगला गए हो तुर्बत तक आए हो तो सुनो भी खुश बेहद हो पर मुरझा गए हो गैरों की आंखे भी मायूस कर दे किसका

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White किसकी बातें लेकर आ गए हो
लगता है तुम भी पगला गए हो
तुर्बत तक आए हो तो सुनो भी
खुश बेहद हो पर मुरझा गए हो
गैरों की आंखे भी मायूस कर दे
किसका डर है क्यों घबरा गए हो
परायों से भी कैसे अमन मिलता
जब अपनों से ही ग़म पा गए हो...

©amansingh6295 किसकी बातें लेकर आ गए हो
लगता है तुम भी पगला गए हो
तुर्बत तक आए हो तो सुनो भी
खुश बेहद हो पर मुरझा गए हो
गैरों की आंखे भी मायूस कर दे
किसका

वरुण तिवारी

#snow हास्य रचना

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सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह।
मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥

बर्फ से कुछ बात  करती  चल रही थी ये  हवाएं,
फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई।
पांव  को   कितना   सिकोड़ूं  पांव  बाहर ही रहा,
अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥

खाँसियां  रुकती  नहीं  सब  अंग  ढीले  हो  गए।

कपकपाती  ठंड  में  फैशन  हमारा था चरम पर
कान  के  दरवाजों  से  ये  वायु  घुसती  ही  गई।
सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में
मेरे  तन  की  हड्डियां  हर  पल अकड़ती ही गई॥

पूस  की   इस   रात  सब  मंजर  रंगीले  हो  गए।

कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ,
ठंड  से  छुपते  छुपाते  गीत  सुनते  जा  रहे  थे।
पेट  में   मेरे    अचानक   दर्द  ने  आहट  दिया,
साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥

अंततः  चुपके  से'  अंतर्वस्त्र   पीले   हो  गए॥

©वरुण तिवारी #snow हास्य रचना

Bhupendra Rawat

#love_shayari मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी

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White मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी
और उपन्यास
मेरी हर एक रचना का
मुख्य पात्र रही हो तुम
मैंने नहीं गढा तुम्हें
अपनी रचनाओ मे
त्याग की देवियों
“मीरा” और
“यशोधरा” की तरह
बल्कि इस दफा मैंने
केंद्र मे रखा हर एक
उस पुरुष को
जिसने समर्पित किया
अपना जीवन
अपनी प्रेयसी को

©Bhupendra Rawat #love_shayari मैं छुपा नहीं सकता
तुमसे मायूसी अपनी
इसलिए
मैंने गढा है
तुम्हे कोरे पन्नों मे
मैंने रचा है तुम्हें
कविताओं मे
लिखी है, कहानी

ranjit Kumar rathour

खता किसकी

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मै ऐसा भी नहीं था 
ये बात बिल्कुल सही था
क्या पता वों जादूगरनी थी 
या उसे आता जादू था 
इलज़ाम उसे दूँ 
मेरा इरादा ऐसा नहीं था 
खुद को जनता मै था 
खता हमसे हुईं होगी मगर 
कब हुईं पता नहीं था

©ranjit Kumar rathour खता किसकी

priyanka pilibanga

प्रकाशित रचना 🤗❤️

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Dr.Meet (मीत)

स्व डॉ कैलाश गुरु स्वामी जी की रचना जो मेरे दिल को बहुत भाती है

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Lotus Mali

#sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो

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White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो 
कभी उस टहन्नी पर घुमा 

शाम तो शाम ढल गई कबकी 
मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।"

-LotusMali
https://lotusshayari.blogspot.com/

©Lotus Mali #sad_quotes 
"शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी
और मेरे मन का पंछी अभी भी

किसकी राह पर निघाए लिए
इंतजार कर रहा था 

मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po

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White मातामही मातामहः ग्राम:
अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म 
पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, 
मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः
 इति ज्ञातम्। 
पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः 
अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म,
हिन्दी अनुवाद 
नाना नानी के गांव
वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था 
जो गांव में बिता करता था 
पगडंडी पर खेत खलिहानों का 
जायजा लिया जाता था,
सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा 
करता था जब नाना नानी के गांव 
बचपन में जाना हुआ करता था,

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित 
शीर्षक 
नाना नानी के गांव
मातामही मातामहः
विधा विचार 
भाव वास्तविक 
#Trending #wellwisher_taru #Po
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